नई दिल्लीः टोक्यो ओलंपिक को लेकर एक बड़ी खबर आई है। कोविड-19 के प्रसार के चलते पिछले साल जापान में होने वाला ओलंपिक स्थगित कर दिया गया था और यह इस साल आयोजित किया जाना है लेकिन कोरोना वायरस की लहर फिर से उठ रही है और नॉर्थ कोरिया ने यह घोषणा कर दी है कि वह टोक्यो ओलंपिक गेम्स में भाग नहीं लेगा।
नॉर्थ कोरिया ने कोरोनावायरस को लेकर उठी चिंताओं के तहत ही यह फैसला किया है। ऐसे में साउथ कोरिया को एक तरीके से झटका लगा है क्योंकि नॉर्थ कोरिया का यह पड़ोसी देश मान रहा था कि इस गेम में भागेदारी करके दोनों देशों के बीच में कुछ शांति बनने का रास्ता भी खुल सकता है।
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सोमवार को जारी किए गए बयान में नॉर्थ कोरिया की ओर से यह जानकारी दी गई है। यह जानकारी नॉर्थ कोरिया की स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर मिली है कि उत्तरी कोरिया ने इस साल ओलंपिक गेम्स में भाग नहीं लेने का फैसला किया है। यह फैसला इसलिए किया गया है क्योंकि कोविड-19 के केस दुनिया में बढ़ रहे हैं और वे अपने खिलाड़ियों की सुरक्षा चाहते हैं। नॉर्थ कोरिया का यह बयान बताता है कि यह फैसला देश की ओलंपिक कमेटी ने लिया है।
इस फैसले का मतलब होगा कि 1988 के कोल्ड वार के बाद से पहली बार नॉर्थ कोरिया समर ओलंपिक को मिस करेगा। नॉर्थ कोरिया के इस फैसले से साउथ कोरिया को कहीं ना कहीं एक झटका लगा है क्योंकि दक्षिण कोरिया के प्रेसिडेंट मून जाई-इन यह उम्मीद कर रहे थे कि टोक्यो में एक कंबाइंड टीम उतारी जाएगी ताकि दोनों देशों के बीच में एक बेहतर रिश्तो की ओर कदम बढ़ाए जा सके।
आपको बता दें कि यह दोनों देश तकनीकी रूप से अभी भी युद्ध में उलझे हुए हैं और दोनों को दोनों के बीच स्थाई शांति की खोज अभी जारी है। इससे पहले 2018 में मून और नॉर्थ कोरिया के लीडर किम जोंग उन के बीच सहमति बनी थी कि 2032 में होने वाले खेलों की मेजबानी उत्तरी और दक्षिण कोरिया संयुक्त तौर पर कर सकते हैं। दक्षिण कोरिया ने नॉर्थ कोरिया के इस कदम पर दुख जताया है और कहा है कि अब यह चीजें आगे नहीं बढ़ पाएंगी।