नई दिल्लीः किमिया अलीजादेह रिफ्यूजी ओलंपिक टीम के पहले पदक से बमुश्किल चूक गईं। वे टोक्यो खेलों में अपने कांस्य पदक ताइक्वांडो मुकाबले में तुर्की के हैटिस कुबरा लागुन से हार गईं।
अलीजादेह ने ईरान के लिए रियो डी जनेरियो में कांस्य पदक जीता थी, वह अपने देश की पहली महिला ओलंपिक पदक विजेता बनीं थी। उन्होंने एक शरणार्थी एथलीट के रूप में टोक्यो के लिए क्वालीफाई किया और ऐतिहासिक पदक के कगार पर पहुंचने के लिए अपने पहले तीन मुकाबले जीते, लेकिन दो सीधी हार ने पदक दूर कर गया।
23 वर्षीय अलीजादेह ने 16 के दौर में दो बार की ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता और ब्रिटिश चैम्पियन जेड जोन्स को 16-12 से हराया।
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उन्होंने क्वार्टर फाइनल में चीन की झोउ लिजुन को अंतिम मिनट की रोमांचक रैली में 9-8 से हराया, लेकिन महिला 57 किलोग्राम वर्ग के सेमीफाइनल में रूसी प्रतिद्वंद्वी तातियाना मिनिना से 10-3 से हार गई।
खास बात यह है कि 2016 में अपनी स्थापना के बाद से शरणार्थी टीम ने अपने दो ओलंपिक गेम्स में कभी भी पदक नहीं जीता है। दस एथलीटों ने रियो में अपने उद्घाटन खेलों में भाग लिया, और टोक्यो में 29 एथलीटों ऐसे हैं।
वे पिछली बार पदक जीतकर अपने देश की हीरो बन गईं थी लेकिन बाद में उन्होंने ईरान की महिलाओं के प्रति कट्टर नीतियों के चलते देश को छोड़ दिया। उनको पिछले फरवरी में जर्मनी में शरणार्थी का दर्जा दिया गया था, जिससे उन्हें यूरोपीय क्वालिफायर में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति मिली।
अलीजादेह ने अपनी करीबी दोस्त कियानी को हराकर टोक्यो में अपना पहला खाता खोला, दोस्त ने अपने मुकाबले के लिए हेडस्कार्फ पहना था। जबकि अलीजादेह ने सेंटर हॉल में जब प्रवेश किया उनका सिर खुला हुआ था और बाल मुक्त थे।
टोक्यो में अलीजादेह का सबसे अच्छा क्षण जोन्स को हराना था, जो तीन बार ताइक्वांडो स्वर्ण पदक विजेता और लगातार तीन ओलंपिक में स्वर्ण जीतने वाली पहली ब्रिटिश महिला बनने का प्रयास कर रहीं थीं।