नई दिल्ली। भारतीय सेना के जवानों की कहानी कई वीरगाथाओं से भरी पड़ी है जिसके अनगिनत सैनिकों ने बलिदान देकर अपनी मातृभूमि की रक्षा की। शहीद होने के साथ ही देश के हजारों जवानों को जंग के मैदान पर चोटिल होने की वजह से शरीर के अंग से हाथ धोना पड़ा। हालांकि इसके बावजूद कई ऐसे मौके देखने को मिले हैं जिसमें हमारे वीर जवानों ने सभी विपरीत स्थितियां होने के बावजूद अपने हार न मानने वाली इच्छा को बरकरार रखा और जंग के मैदान पर लीजेंड बन गये।
ऐसे ही ढेरों वीर में से एक नाम हवलदार सोमन राणा का है जो कि जापान की राजधानी टोक्यो में खेले जाने वाले पैरालम्पिक्स खेलों में भारत की ओर से खेलने जाने वाले हैं और पदक हासिल करने की ओर कदम बढ़ायेंगे। टोक्यो पैरालम्पिक्स में जाने वाले राणा ने अपना दांया पैर दिसंबर 2006 में हुए भूस्खल विस्फोट के दौरान खो दिया था।
जहां एक ओर बहुत से लोग शरीर के किसी अंग का नुकसान हो जाने पर अपने खेल करियर का अंत मानते हैं तो वहीं पर राणा ने एक पैरा एथलीट के रूप में अपने करियर की दूसरी पारी का आगाज करने का फैसला किया। 38 वर्षीय राणा ने पुणे में आर्मी पैरालम्पिक विभाग में ट्रेनिंग की शुरुआत की और नेशनल सर्किट में अच्छा खासा नाम अपने लिया बना लिया है।
शिलॉन्ग से आने वाले राणा ने पैरा एथलीट के रूप में शॉटपुट को अपना खेल चुना और टोक्यो पैरालम्पिक्स 2020 की एफ-57 कैटेगरी में हिस्सा लेते नजर आयेंगे। राणा को साल 2017 में आर्मी पैरालंपिक विभाग में शामिल किया गया था और वो इस कैटेगरी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के दूसरी वरीयता प्राप्त खिलाड़ी हैं। यह विभाग खिलाड़ियों को पैरास्पोर्टस में भाग लेने और जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाने के लिये प्रेरित करता है।
डिफेंस पीआरओ की ओर से जारी किये गये बयान के अनुसार साल 2017 में जब से राणा ने पैरा एथलीट विभाग में करियर का आगाज किया है तब से अब तक 28 अंतर्राष्ट्रीय और 60 राष्ट्रीय पदक जीत चुके हैं। राणा ने एशियन पैरा गेम्स, वर्ल्ड मिलिट्री गेम्स, वर्ल्ड पैरा चैम्पियनशिप और वर्ल्ड ग्रैंड प्रिक्स इवेंटस में हिस्सा लिया है।
राणा ने इससे पहले ट्यूनिस वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था और 19वें नेशनल एथेलेटिक्स पैरा चैम्पियनशिप में 2 गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीता था। रिलीज में आगे कहा गया है कि सोमन राणा ने देश का सम्मान बढ़ाने के लिये पहले ही काफी कुछ किया है भारतीय आर्मी के पैरा एथलिट्स को प्रेरित करने वाली मिसाल बने हैं। वह टोक्यो में होने वाले पैरालंपिक्स खेलों में मेडल जीतने के सबसे बड़े दावेदारों में से एक हैं।