किया ये ट्वीट
विजेंद्र ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर महिला के सिर मुंडवाने की घटना पर दुख जाहिर किया और उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ''देश का असली मुद्दा तो ये है, किसी ने कहा था 2020 में हम विश्वगुरु बन जाएंगे। #भारत।'' बता दें कि बीजेपी सरकार जल्दी ही भारत को विश्व गुरू बनाने का दावा करती है लेकिन उनके इस दावे को 16 अगस्त 2019 को पंजाब सरकार के मंत्री व पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने झूठ हराया था। तब सिद्धू ने कटिहार में महागठबंधन प्रत्याशी तारिक अनवर की चुनावी सभा को संबोधित करते कहा था, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के चौकीदार बन रहे हैं। पांच साल लोगों ने इंतजार किया, मिला क्या, चौकीदार! विश्व गुरु बनाने चले थे और बन गये चौकीदार।'' पीएम मोदी ने साल 2014 में महामना पंडित मदनमोहन मालवीय जयंती पर कहा था कि देश को अब विश्व गुरू बनाएंगे। उच्च स्तर पर शिक्षा दी जाएगी लेकिन आज भी लोग गरीबी के कारण अनपढ़ता की खाई में गिर रहे हैं।
विजेंद्र से देखी ना गई प्रेमा की स्थिति
विंजेंद्र ने देश की आर्थिक स्थिति व गरीब परिवारवालों के बच्चों को शिक्षा ना मिल पाने पर खेद व्यक्त करते हुए ही एक गरीब महिला प्रेमा के दुख को समझने का प्रयास किया है। गाैर हो कि सोशल मीडिया पर 31 साल की प्रेमा नाम महिला की तीन बच्चों के साथ तस्वीर वायरल हुई। उसने अपने बाल मुंडवा दिए थे, ताकि उन्हें बेचकर बच्चों को खाना खिलाया जाए। प्रेमा ने 150 रूपए बाल बेचे। 7 दिन पहले उसके पास एक भी पैसा नहीं था। ऐसे में उसने आत्महत्या करने की सोची। पति पहले ही ढाई लाख कर्जे में आकर माैत को गले लगा चुका था। प्रेमा जब सुसाइड करने लगी तो उसकी बहन से उसे रोका। फिर सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगाई गई। अब प्रेमा के पास सोशल मीडिया के जरिए लोगों से करीब 1.50 लाख रूपए की मदद मिली।
बच्चों को देना चाहती है शिक्षा
गुरुवार को सलेम के जिला प्रशासन ने उसकी मासिक विधवा पेंशन भी शुरू कर दी। अब प्रेमा में नई जिंदगी जीने का जुनून जाग चुका है। प्रेमा अब अपने बच्चों को उच्च शिक्षा देना चाहती है। उसने लोगों से मिली मदद के बाद कहा, 'जिन लोगों ने जो मेरी मदद की मैं उसकी अहसानमंद हूं। मैं फिर कभी आत्महत्या के बारे में नहीं सोचूंगी। मैं अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहती हूं और उन्हें इस गरीबी से निकालना चाहती हूं।' बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अभी भी 28 फीसदी आबादी गरीबी है।