नई दिल्ली: भारत के प्रवीण कुमार ने विश्व वुशु चैंपियनशिप में इतिहास रच दिया है। वे इस चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष बन गए हैं। प्रवीण ने शंघाई, चीन में 15 वीं विश्व वुशु चैंपियनशिप में पुरुषों के 48 किग्रा इवेंट में गोल्ड मेडल जीता। कोच सिंगम सुनीलदत्त सिंह ने इस जीत को "अच्छा होमवर्क" का नतीजा करार दिया है।
कुमार ने फिलीपींस के रसेल डियाज़ को 2-1 से हराया इतिहास लिखा। प्रवीण ने इससे पहले सेमीफाइनल में, 23 वर्षीय उज्बेकिस्तान के ख़ासन इक्रोमोव को 2-0 से हराया था।
2017 में, पूजा कादियान विश्व खिताब (75 किग्रा) जीतने वाली पहली महिला बनीं। वुशु सांडा एक मार्शल आर्ट है, जिसमें किकबॉक्सिंग, पंच और कुश्ती शामिल हैं।
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हरियाणा के रहने वाले कुमार 2016 एशियाई चैंपियनशिप में रजत जीतने के बाद, असम रेजिमेंट सेंटर (शिलांग) में शामिल हुए। उसी वर्ष उन्होंने राष्ट्रीय खिताब जीता। प्रवीण ने सेंटर में अच्छा प्रशिक्षण लिया जिसे 'वुशु नोड' कहा जाता है, इसके दम पर कुमार को अपने कौशल को चमकाने में मदद की।
कोच के अनुसार, यह एक कारण है कि कुमार 2017 के बाद से राष्ट्रीय स्तर पर अपने भार वर्ग में अपराजित रहे। उन्होंने चीन के ग्वांगझू में 2017 एशिया सांडा कप में भी रजत पदक जीता था।
कोच के अनुसार विश्व चैंपियनशिप के लिए कुमार ने बहुत कठिन प्रशिक्षण लिया। "कभी-कभी, वह प्रति दिन छह घंटे से अधिक (दो सत्रों में) प्रशिक्षित करता है। वह रनिंग में अच्छा है और पावर-पैक पंच भी उसके पास हैं। इन विशेषताओं के चलते दुनिया में उसको सफलता मिली। "शिलांग से सिंगम ने कहा।
सेना की टीम में 40 से अधिक वुशू खिलाड़ी हैं और इसके 12 खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय हैं। "कुमार के लिए भागीदारों की कोई कमी नहीं है," सिंघम ने कहा।
हालांकि सिंगम शंघाई में टीम के साथ नहीं जा सके, लेकिन वे कुमार के संपर्क में थे। उन्होंने बताया, ' प्रत्येक बाउट से पहले, मैंने उसे प्रतिद्वंद्वी से निपटने के तरीके के बारे में सुझाव दिए। मैंने उनके विरोधियों के वीडियो का अध्ययन किया और उनका मार्गदर्शन किया। सिंघम ने कहा कि रणनीति सुचारू रूप से काम करती रही और वह विजयी हुआ।
पूनम (75 किग्रा) और सनतोई देवी (52 किग्रा) ने रजत जीता, जबकि विक्रांत बलियान ने पुरुषों के 60 किग्रा में कांस्य जीता।