सर्बिया : माैजूदा समय दुनिया के नंबर एक टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच बुरे समय से गुजर रहे हैं। ऑस्ट्रेलियन ओपन में उनका खेलने का सपना टूटने की कगार पर है क्योंकि उन्होंने बिना कोरोना की डोज लिए ऑस्ट्रेलिया में जाने का फैसला लिया। हालांकि उन्हें बुधवार को मेलबर्न हवाई अड्डे पर ही रोक दिया गया। जोकोविच से सबूत मांगा गया था कि वो किस कारण कोरोना का टिका नहीं लगवा सके। जब खिलाड़ी सूबत नहीं दे पाया तो उनका वीजा रद्द कर दिया गया। यानी कि जोकोविच ने एक तरीके से कोरोना को हल्के में लिया। अब विश्व के छठे वरीयता प्राप्त टेनिस खिलाड़ी राफेल नडाल ने जोकोविच की क्लास लगाई है।
जोकोविच के मामले पर स्पेन के नडाल ने कहा, ''यह एक कठिन स्थिति लगती है, लेकिन मैं आखिर में केवल यही कह सकता हूं कि हम बहुत चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहे हैं और पिछले दो सालों के दौरान बहुत सारे परिवार महामारी से पीड़ित रहे हैं। मेरा मतलब है कि ऑस्ट्रेलिया में लोग इस मामले से बहुत निराश हुए होंगे क्योंकि वे बहुत कठिन लॉकडाउन से गुजर रहे हैं और बहुत सारे लोग घर वापस नहीं आ पा रहे थे। मेरे दृष्टिकोण से मैं केवल यही कह सकता हूं कि मैं उन लोगों के करीब जाने में विश्वास करता हूं जो वैक्सीन के बारे में जानते हैं और अगर सभी मान रहे हैं कि हमें टीका लगवाने की जरूरत है, तो फिर हम सभी को टीका लगवाना ही होगा। मैंने भी दो बार टीका लगवाया है। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको टूर्नामेंट में खेलने में कोई दिक्कत नहीं होगी।''
यह भी पढ़ें- 4 लीटर दूध, 2 किलो चिकन, 15 नंबर का जूता, मिलिए हरियाणा के खली से
नडाल ने आगे कहा, ''स्पष्ट बात यही है कि अगर आपने टीका लगवाया है तो आप ऑस्ट्रेलियन ओपन या किसी और हर जगह कहीं भी खेल सकते हैं और मेरी राय में दुनिया को नियमों का पालन न करने के लिए काफी कष्ट हुआ है।'' यह पूछे जाने पर कि क्या वह जोकोविच की दुर्दशा के लिए सहानुभूति महसूस करते हैं, नडाल ने कहा, 'मुझे लगता है कि अगर वह चाहते तो वह यहां ऑस्ट्रेलिया में बिना किसी समस्या के खेल रहे होते। लेकिन उन्होंने दूसरा रास्ता अपना लिया। उन्होंने अपने फैसले खुद किए और हर कोई अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है लेकिन फिर कुछ परिणाम भी भुगतने पड़ जाते हैं। बेशक मुझे स्थिति पसंद नहीं है जो हो रही है। एक तरह से मुझे उसके लिए खेद है लेकिन साथ ही वह कई महीने पहले से ही परिस्थितियों को जानता था, लेकिन फिर भी उसने टीका नहीं लगवाने का फैसला किया।''