नई दिल्ली। भारत की स्टार महिला टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने अपनी निजी जिंदगी से जुड़ा एक किस्सा उजागर किया है। सानिया ने बताया कि कैसे जब वो बचपन में टेनिस की ओर बढ़ने लगी थीं तो उन्हें कुछ बातों का सामना करना पड़ा था। उन्होंने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में बोलते हुए कहा कि बचपन में उनसे एक लड़की होने के नाते टेनिस छोड़ने तक को कहा गया था। सानिया ने कहा कि शुरुआत करूं तो सबसे पहले माता-पिता, पड़ोसियों, आंटियों और अंकल को यह कहना बंद करना होगा कि आप सांवली हो जाओगी और अगर तुम खेलोगी तो कोई भी तुमसे शादी नहीं करेगा।
सानिया ने कहा, कि मैं महज आठ साल की थी जब मुझे यह कहा गया था और हर किसी को लगता था कि कोई मुझसे शादी नहीं करेगा क्योंकि मैं सांवली हो जाऊंगी। मैंने सोचा कि मैं बच्ची ही हूं और सब ठीक होगा। सानिया वह भारत की सबसे सफल टेनिस खिलाड़ी हैं और डब्ल्यूटीए एकल सूची में 2007 के मध्य में कैरियर की सर्वश्रेष्ठ 27वीं रैंकिंग पर पहुंची थीं। उनके नाम तीन महिला युगल और इतने ही मिश्रित युगल ग्रैंडस्लैम खिताब हैं।
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इस हैदराबादी के नाम 41 डब्ल्यूटीए युगल खिताब हैं और 2015 में तो वह महिला युगल में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी भी बनी थीं। उन्होंने कहा, ''लोगों के दिमाग में यह इतना भरा हुआ है कि लड़कियों को खूबसूरत बने रहना चाहिए और इसमें यह भी कि उसे गोरा होना चाहिए। मैं नहीं जानती ऐसा क्यों। इस संस्कृति को बदलना चाहिए।'' अपने टेनिस सफर की बात करते हुए सानिया ने कहा कि उनके पास प्रेरणा लेने के लिये महज एक खिलाड़ी थीं वो महान धाविक पीटी ऊषा थीं। उन्होंने कहा कि लेकिन अब समय बदल गया है और कई महिला एथलीट मौजूदा खिलाड़ियों के लिए आदर्श बन रही हैं।
सानिया ने कहा कि मुझे गर्व महसूस होता है कि मैंने महिलाओं को खेल अपनाने में शायद थोड़ी सी भूमिका अदा की। मैं जिस महिला खिलाड़ी से प्रेरणा ले सकती थी तब वह पीटी ऊषा थीं। आज हम पीवी सिंधू, साइना नेहवाल, दीपा करमाकर और कई अन्य का नाम ले सकते हैं।