'शर्मीला हूं पर अब मुंह से बोलना जरूरी'
ये बात रहाणे ने मंगलवार को कही है कि वे आशा करते हैं कि चयनकर्ता जब विश्व कप के लिए टीम चुनेंगे तब उनकी मेहनत को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। पिछले साल जनवरी में भारत के लिए वनडे मैच खेलने वाले रहाणे ने कहा, 'एक बल्लेबाज के तौर में आक्रामक हूं लेकिन स्वभाव से एकदम शर्मीला हूं। मैं चाहता हूं मेरा बल्ला बोले लेकिन कई बार मुंह से बोलना भी जरूरी होता है।'
'कम से कम लगातार मौकें तो दो मुझे'
सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में मुंबई की अगुवाई करने वाले इस ठोस बल्लेबाज ने हालांकि यह माना कि टीम सबसे पहले आती है और टीम प्रबंधन के फैसलों की कद्र की जानी चाहिए लेकिन अंत में यह जरूरी होता है कि आपके प्रदर्शन को भी नजरअंदाज ना किया जाए। रहाणे ने शिकायत करने के अंदाज में कहा, 'एक खिलाड़ी के तौर पर मुझे अब तक जितने मौके मिलने चाहिए थे उतने नहीं मिले। कम से कम मुझे लगातार मौके तो दीजिए। बस मैं इतना ही चाहता हूं।'
रोहित, धवन और कोहली का टॉप ऑर्डर पर कब्जा-
रहाणे को 2017 में वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज में मैन ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड दिया गया था। उसी साल उन्होंने बतौर ओपनर लगातार चार अर्धशतक जमाए थे। लेकिन बाद में उनको 2018 में रोहित शर्मा, शिखर धवन और विराट कोहली के बाद निचले स्थान पर धकेल दिया गया। इस बारे में रहाणे ने कहा, 'मुझे भी लगता है कि मेरा प्रदर्शन वाकई अच्छा था। अगर आप मेरी पिछली तीन-चार सीरीज के आंकड़ों पर नजर डालते हैं तो मेरा औसत 45-50 का है। यहां तक की टीम से बाहर होने के बाद मैंने घरेलू क्रिकेट में भी बढ़िया प्रदर्शन किया है।'
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'कभी अपने लिए नहीं खेला'
इसके साथ ही रहाणे ने कहा कि वे कभी अपनी व्यक्तिगत फायदे के लिए नहीं खेले। जब वे ओपनर के तौर पर अच्छा कर रहे थे तो उनको नंबर चार पर बल्लेबाजी के लिए भेज दिया गया। रहाणे ने कहा, 'तब भी मैंने टीम प्रबंधन से कहा कि आप जो भी चाहते हैं करें क्योंकि टीम सबसे पहले हैं। लेकिन इसके साथ ही टीम प्रबंधन को भी चाहिए कि वह आप पर विश्वास करे और आपको भरोसा दिलाए कि हां आप टीम में हैं और आप ये टीम के लिए कर रहे हैं।' साथ ही रहाणे ने यह भी कहा कि विश्व कप में भाग लेना हर क्रिकेटर का सपना होता है।