धोनी से ज्यादा टैलेंटेड हैं ऋषभ पंत
एक इंटरव्यू के दौरान आशीष नेहरा से जब धोनी की सबसे बड़ी ताकत और उनके उत्तराधिकारी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने ऋषभ पंत के बारे में बात की उन्हें ज्यादा टैलेंटेड बताया।
उन्होंने कहा, ' धोनी का सबसे बड़ा कौशल अविश्वसनीय रूप से मजबूत उनका दिमाग था, जिसकी वजह से आज वह ऐसे बने हैं। अगर आप मुझसे पूछेंगे तो मैंने ऋषभ पंत को सोनेट (टूर्नामेंट) में देखा है, जब वह 14 साल के चुलबुले बच्चे थे, मुझ पर भरोसा करिये कि 22 साल के पंत में उस धोनी से ज्यादा स्वाभाविक प्रतिभा थी जिन्होंने 2004 में 23 साल के पहली बार खेला भारत के लिए था।'
धोनी ने हमेशा किया है खिलाड़ियों का सम्मान
आशीष नेहरा (Ashish Nehra) ने कहा, 'मैंने धोनी के बारे में यह सुना है वह खिलाड़ियों की पहुंच से दूर रहते है जो बिल्कुल गलत है. उनके मन में सभी वरिष्ठ खिलाड़ियों के लिए बेहद सम्मान था। मैं यह विश्वास दिला सकता हूं कि उन्होंने दिमाग पढ़ने क्षमताओं के कारण बदलाव के दौर में टीम को बहुत अच्छी तरह से संभाला था। उन्होंने सबको सम्मान दिया और इसलिए उन्हें सम्मान मिला। ऐसा कभी नहीं हुआ कि उन्होंने किसी खिलाड़ी को उसके बारे में स्थिति से स्पष्ट रूप से अवगत नहीं कराया कि उनके दिमाग में क्या चल रहा है।'
भावनाओं को नियंत्रित करने में माहिर हैं धोनी
आशीष नेहरा ने धोनी को भावनाओं पर कंट्रोल करने में माहिर बताते हुए कहा, 'वह सबसे अच्छे से बेहतर क्यों है? क्योंकि धोनी से बेहतर भावनाओं को कोई नियंत्रित नहीं कर सकता था। आपको क्या लगता है, वह कभी भी आहत, अपमानित या क्रोधित नहीं हुआ? लेकिन वह इसे छुपाना जानता थे। यह उसका दूसरा स्वभाव है। उनमें दूसरे के दिमाग को पढ़ने की शानदार क्षमता है जिसके कारण वह सबसे अच्छे व्यक्ति-प्रबंधकों में से एक बने।'
धोनी के चलते वापसी करने में हुई आसानी
इस दौरान आशीष नेहरा ने 2009-2011 के बीच टीम इंडिया में अपनी वापसी का श्रेय धोनी को देते हुए बताया कि वह हमेशा यह सुनिश्चित करते थे अगर कोई गेंदबाज किसी मैच मे महंगा साबित हो रहा है तो चयनकर्ता उसे ज्यादा अंदर-बाहर न करें।
उन्होंने कहा, 'धोनी ने 2009 और 2011 के बीच टीम में मेरी वापसी को शानदार तरीके से संभाला था। उन्होंने मुझसे पावरप्ले में ज्यादा ओवर डलवाये और तीन या चार स्पैल में मुझसे गेंदबाजी करवाई। जिस मैच में जहां आप 325 रन के लक्ष्य का बचाव कर रहे होतो थे वह कहते थे कि अगर आप ने 70 रन भी दे दिये तो भी चिंता की कोई बात नहीं, जब तक आपको विकेट मिलते हैं। मैं आपके साथ हूं।'
दिमाग पढ़ने में माहिर थे धोनी
आशीष नेहरा (Ashish Nehra) ने कहा, 'धोनी आखिरी ओवरों में गेंदबाजी करवाने को लेकर काफी स्पष्ट थे। दिमाग पढ़ने के मामले में आप धोनी को पछाड़ नहीं सकते। अगर उन्हें पता रहता था कि किसी खिलाड़ी में सीमित क्षमताएं हैं, तो वह उसे बिना निराश किये या बिना गुस्सा दिखाये उसका बेहतरीन उपयोग करते थे। वह टी20 क्रिकेट में अपने गेंदबाजों को जानते थे। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मेरे अंतिम चरण के दौरान, वह मुझे पावरप्ले में तीन ओवर करवाते थे जबकि दूसरी ओर से तीन अलग-अलग गेंदबाज ओवर डालते थे। सभी संसाधनों से उपयोग लेना उनकी ताकत थी और सुरेश रैना, रविंद्र जडेजा जैसे शीर्ष अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनाना उनके सबसे बड़े योगदानों में से एक रहा है।'