नई दिल्ली। कई बार खेल के मैदान पर खिलाड़ी अपने प्रदर्शन की ऐसी छाप छोड़ जाते हैं कि उस टूर्नामेंट को उनके प्रदर्शन के लिए खासतौर पर याद किया जाता है। जैसे 1986 का फीफा फुटबॉल विश्व कप डिएगो माराडोना के शानदार प्रदर्शन के लिए याद किया जाता है। 1996 का क्रिकेट विश्व कप सनथ जयसूर्या की धाकड़ बल्लेबाजी के लिए सबके जेहन में कैद है। इसी मानक को आधार बना लें तो 2008 का एशिया कप अजंता मेंडिस के प्रदर्शन के तौर पर याद किया जाएगा।
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साल 2008 में एशिया कप का आयोजन पाकिस्तान में किया गया। यह वो दौर था जब अजंता मेंडिस भारतीय क्रिकेटरों के लिए पहेली थे।इंडिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान और हॉन्ग-कॉन्ग की टीमें टूर्नामेंट में खेल रही थीं। पाकिस्तान के कराची में फाइनल का आयोजन किया गया था। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 274 रनों का बड़ा टार्गेट भारत के लिए सेट किया था। सनथ जयसूर्या ने भारतीय गेंदबाजों की जमकर खबर ली थी। अब बारी भारत की थी। भारत की पारी की शुरुआत ठीक-ठाक रही। गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग की जोड़ी ने भारत की तरफ से पारी की शुरुआत की। भारत के यह दिन काफी खराब रहा। मेंडिस के जाल में भारतीय टीम आसानी से फंस गई और भारत का करारी शिकस्त झेलनी पड़ी।
मेंडिस ने ऑफ ब्रेक, कैरम गेंद , गुगली गेंद फेंककर भारतीय क्रिकेटर्स को फंसाते गए और भारतीय टीम ताश के पत्तों की तरह ढहती चली गई।
भारत के खिलाफ उतरे मेंडिस:
भारत का श्रीलंका से मुकाबला सुपर-4 में हो चुका था लेकिन तबब श्रीलंका ने मेंडिस को भारत के खिलाफ नहीं उतारा था शायद यह रणनीति का हिस्सा था कि मेंडिस को भारत के खिलाफ सीधा फाइनल में उतारा जाए।
श्रीलंका अपनी रणनीति में सफल भी रहा । मेंडिस तुरुप का इक्का साबित हुए भारत के खिलाफ मेंडिस ने 13 रन देकर 6 बल्लेबाजों को आउट किया।273 रनों का पीछा कर रही टीम इंडिा 173 पर ही ऑल आउट हो गई। इस मैच में सनथ जयसूर्या ने शानादर पारी खेलते हुए114 गेंदों में 125 रन बनाए थे। सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग इस मैच में लय में नजर आ रहे थे लेकिन मेंडिस की गेंद पर संगकारा ने उन्हें स्टंपिंग आउट किया। भारत के शुरुआती 76 में से 60 रन वीरेंद्र सहवाग के ही थे।मेंडिस ने फिर युवा तिकड़ी सुरेश रैना, रोहित शर्मा और युवराज सिंह को अपना शिकार बनाया।
अजंता मेंडिस की गेंदबाजी का जादू उस समय चरम पर था ।दो महीने बाद खेली गई टेस्ट सीरीज में मेंडिस के हाथ वीवीएस लक्ष्मण , सचिन तेंदुलकर राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली जैसे दिग्गजों का विकेट हाथ लगा। इस टेस्ट सीरीज में मेंडिस ने तीन टेस्ट में 26 विकेट अपने नाम किए।
मेंडिस की गेंदबाजी की धार ज्यादा दिन तक बरकरार नहीं रही।अंजता मेंडिस की पहेली धीरे-धीरे भारतीय टीम ने सुलझा ली और फिर मेंडिस की बखिया उधेड़ ली गई। आलम यह हुआ की मेंडिस को श्रीलंका की टीम मेंवापसी के लिए भी संघर्ष करना पड़ा। बहरहाल हुआ जो भी हो, 2008 का वो एशिया कप अजंता मेंडिस की शानदार गेंदबाजी के लिए याद किया जाएगा।