नई दिल्ली। दुनिया की बेस्ट क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा इन दिनों काफी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। पहले कोच जस्टिन लैंगर के साथ विवादों की चर्चा के बीच वह टीम से बाहर हो गये और उसके बाद उन्हें क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से भी बाहर कर दिया गया। इस बीच उनके परिवार पर एक और मुसीबत सामने आ गई है। जहां पर ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा के बड़े भाई को फर्जी आतंकी साजिश रचने के आरोप में सजा मिली है।
उस्मान ख्वाजा के भाई को इस आरोप में 4 साल 6 महीने की सजा सुनाई गई है। वहीं भाई को आतंकी साजिश रचने के आरोप में मिलने के बाद उस्मान ख्वाजा ने आरोपों को गलत बताया और कहा कि वह हमेशा ही एक आदर्श नागरिक रहे हैं। हालांकि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और उन्हें दोषी पाया गया है तो उसके अनुरूप सजा मिलना तय है।
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उल्लेखनीय है कि उस्मान ख्वाजा ने पिछले साल ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिये खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया लेकिन निरंतरता की कमी के चलते वह जल्द ही टीम से बाहर हो गये। ऑस्ट्रेलियाई पुलिस ने उस्मान ख्वाजा के भाई अर्सलान तारिक पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अपने साथ काम करने वाले लोगों को फर्जी आतंकी साजिश रचने के आरोप में फंसाया जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार किया गया है।
वहींअर्सलान ने भी अपने ऊपर लगे आरोपों को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्होंने अगस्त 2018 में न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के सह-कर्मी कामेर निजामदीन की नोटबुक में आतंकी साजिश से जुड़ी फर्जी बातें लिखी थी। अर्सलान ने इसके पीछे का कारण बताते हुए कहा कि उन्होंने यह सब इसलिये किया क्योंकि निजामदीन उनकी गर्लफ्रेंड के साथ नजदीकियां बढ़ा रहा था जिससे वह चिढ़ने लगे थे।
गौरतलब है कि ख्वाजा की इस साजिश के चलते निजामदीन को गिरफ्तार कर मीडिया में गलत तरीके से आतंकी घोषित कर दिया गया था, हालांकि बाद में पुलिस जांच से अर्सलान की साजिश का खुलासा हुआ जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
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आपको बता दें कि अर्सलान ने इस बात को भी स्वीकार किया कि उन्होंने साल 2017 में प्यार में जलन के चलते एक और आदमी के खिलाफ साजिश रची थी और फोन पर उसके खिलाफ आधिकारियों से फोन पर फर्जी वीजा और आतंकवाद का आरोप लगाया था।
वहीं आरोपों को स्वीकार करने के बाद न्यू साउथ वेल्स जिला कोर्ट में जज रॉबर्ट वेबर ने अर्सलान को दो साल और छह महीने की गैर-पैरोल के साथ चार साल और छह महीने की जेल की सजा सुनाने का काम किया है।