नई दिल्ली। क्रिकेट टीम के राष्ट्रीय चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने सुनील गावसकर को करारा जवाब दिया है। दरअसल, पूर्व महान बल्लेबाज गावस्कर ने प्रसाद पर कमजोर चयनकर्ता होने का आरोप लगाया है। इस पर प्रसाद ने कहा कि हमने प्रथम श्रेणी के 477 मैच खेले हैं, जबकि 200 से ज्यादा प्रथम श्रेणी मैच देखे हैं। अगर अनुभव ही सबकुछ है तो कभी क्रिकेट नहीं खेलने वाले डूंगरपुर ने सचिन को नहीं चुना होता।
प्रसाद ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू के दाैरान कहा कि यनसमिति में शामिल सभी सदस्यों ने विभिन्न प्रारूपों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया है जो हमारी नियुक्ति के समय बुनियादी मानदंड था। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के अलावा हमने प्रथम श्रेणी के 477 मैच खेले हैं। अपने कार्यकाल के दौरान हम सबने मिलकर 200 से ज्यादा प्रथम श्रेणी मैच देखे हैं।' क्या ये आंकड़े देखने के बाद आपको नहीं लगता कि एक खिलाड़ी और चयनकर्ता के तौर पर हम सही कौशल को पहचानने की क्षमता रखते हैं? बता दें कि गावस्कर ने यह कहकर चयन समिति की आलोचना की थी कि उनके पास सिर्फ 13 मैचों का अनुभव है।
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उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई हमारे कद और अंतरराष्ट्रीय अनुभव पर सवाल उठा रहा तो उसे इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड के मौजूद चयन समिति के अध्यक्ष एड स्मिथ को देखना चाहिए जिन्होंने सिर्फ एक टेस्ट मैच खेला है। क्रिकेट आस्ट्रेलिया के मुख्य चयनकर्ता ट्रेवोर होन्स ने सिर्फ सात टेस्ट मैच खेले हैं और वह बीच में दो साल को छोड़कर पिछले डेढ दशक से मुख्य चयनकर्ता हैं। हां, 128 टेस्ट और 244 एकदिवसीय मैच खेलने वाले मार्क वॉ उनके अधीन काम कर रहे हैं। दिग्गज ग्रेग चैपल को 87 टेस्ट और 74 एकदिवसीय का अनुभव है और वह ट्रेवर के अधीन काम कर रहे हैं। जब उन देशों में कद और अंतरराष्ट्रीय अनुभव मुद्दा नहीं है तो हमारे देश में यह कैसे होगा?