कोहली से कप्तानी छीनकर रोहित को मिलना-
विराट कोहली का बतौर वनडे कप्तान बहुत ही शानदार रिकॉर्ड है लेकिन गांगुली का कहना है कि रोहित को जब भी वनडे की कमान दी गई उन्होंने बेहतरीन नतीजे दिए और वे आगे भी बेहतर कप्तान साबित हो सकते हैं। रोहित ने 10 वनडे में भारत की कप्तानी की और 8 मैच जीतने में कामयाब रहे जबकि 19 टी20 में वे 15 जीतने में कामयाब रहे हैं। कोहली के साथ समस्या ये ही है कि बढ़िया कप्तानी रिकॉर्ड होने के बावजूद वे आईसीसी ट्रॉफी जीतने में नाकामयाब रहे। 2019 का वर्ल्ड कप भारत जीत सकता था लेकिन एक खराब मैच सब बर्बाद कर गया जबकि हाल में सम्पन्न हुआ टी20 वर्ल्ड कप भारत के लिए बहुत बुरा साबित हुआ। कोहली की बल्लेबाजी फॉर्म भी लगातार खराब रही और वे पिछले दो साल से एक भी शतक जड़ने में नाकामयाब रहे। ये सब चीजें कोहली पर कप्तानी छोड़ने का दबाव बना रही थी और बीसीसीआई के लिए दूसरा कप्तान चुनने का माहौल बना रही थी।
इसके अलावा लंबे समय से यह भी कहा जा रहा था कि कोहली के सामने युवा खिलाड़ी बहुत ज्यादा बातचीत नहीं कर पाते हैं जबकि रोहित को युवाओं को तराशने के लिए ही जाना जाता है। आईपीएल में रोहित ने मुंबई इंडियंस के लिए बेहतरीन लीडरशिप का मुजायरा पेश किया है।
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और बेहतर तरीके से मामले को सुलझा सकता था बीसीसीआई-
इसमें कोई शक नहीं कि बोर्ड ने कोहली को कप्तानी से बेदखल किया है क्योंकि विराट ने साफ किया था कि वे अभी भी वनडे और टेस्ट फॉर्मेट में कमान संभालने के इच्छुक हैं। बोर्ड के अपने तर्क हो सकते हैं लेकिन इस मुद्दें को और बेहतर तरीके से सुलझाया जा सकता था जिससे विराट के कद के खिलाड़ी की गरिमा भी बरकरार रहे और भारतीय क्रिकेट को सर्वापरी रखने का बोर्ड का एजेंडा भी आगे बढ़ता रहे। बोर्ड ने कोहली के शानदार वनडे रिकॉर्ड का बखान करे बिना उनको एक तरीके से बर्खास्त कर दिया और विराट के लिए धन्यवाद ट्वीट देने में भी बोर्ड को 24 घंटे का समय लग गया। सौरव गांगुली ने भी मामले में दखल देकर कप्तान की गरिमा को मेंटेन रखने का काम नहीं किया।
विभाजनकारी कप्तानी भारतीय क्रिकेट के लिए कितनी कारगर?
अलग-अलग कप्तानी एक पेचीदा चीज है। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीम के पास इस फॉर्मूले में सफलता इसलिए है क्योंकि वहां पर वनडे कप्तानों का कोई भी रोल टेस्ट क्रिकेट में नहीं है जबकि भारत में कोहली और रोहित को तीनों फॉर्मेट में साथ खेलना है। दो खिलाड़ियों के अहम को संतुलित करना भी कठिन काम है। एक खिलाड़ी एक फॉर्मेट में दूसरे को निर्देश देगा और दूसरे फॉर्मेट में निर्देश लेगा। अब कोहली-रोहित की जोड़ी को भारतीय क्रिकेट को आगे बढ़ाने के लिए और अधिक बुद्धिमत्ता से काम लेना होगा।
क्या भारतीय टीम के लिए भी विभाजनकारी कप्तानी काम करेगी? इस सवाल का जवाब अभी भी किसी को पता नहीं है लेकिन बीसीसीआई ने फिलहाल राहुल द्रविड़ का काम थोड़ा बढ़ा दिया है। दिग्गज द्रविड़ को बतौर कोच कोहली और रोहित के साथ तालमेल बैठाना होगा और दोनों लीजेंडरी खिलाड़ियों के बीच बेहतर बातचीत सुनिश्चित करने के लिए काम करना होगा।