'हरिद्वार हाई-वे पर रिवॉल्वर से खत्म करने की सोची'
"मैंने खुद से कहा,‘ क्या है ये सब? बस खत्म करते हैं। " कुमार ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया। "मैंने महसूस किया कि मैं अपने फूल जैसे मासूम बच्चों के साथ ऐसा नहीं कर सकता, उन्हें इस नर्क में नहीं डाल सकता। मैं पीछे मुड़ गया।
प्रवीण कुमार इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में कई फ्रेंचाइजी के लिए खेले हैं, लेकिन उनको बाद में डिप्रेशन ने घेर लिया और उन्होंने इस तथ्य पर जोर दिया है कि भारत में मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों को अच्छी तरह से डील नहीं किया जाता है
3 साल बाद फिर उसी तारीख ने खत्म किया स्मिथ की 26 पारियों का इंतजार
'अचानक गया सब कुछ..'
"इंडिया में डिप्रेशन की अवधारणा ही कहा हैं? इसके बारे में मेरठ में कोई नहीं जानता, निश्चित रूप से नहीं। मेरे पास बात करने के लिए कोई नहीं था, लगभग लगातार चिड-चिड़पन महसूस करता था। एक तेज गेंदबाज के रूप में, मुझे बहुत सोच समझना (स्मार्ट बल्लेबाजों को आउट करना) पड़ता था। मैंने काउंसलर से बताया कि मैं विचारों को बदल नहीं पा रहा हूं।" कुमार ने समझाया।
उन्होंने कहा, 'मैं इतनी अच्छी गेंदबाजी कर रहा था। इंग्लैंड में, हर किसी ने मेरी प्रशंसा की। मैं एक टेस्ट करियर के बारे में सपना देख रहा था। अचानक गया सब कुछ। मुझे लग रहा था कि हर कोई सोच रहा है प्रवीण कुमार ने संन्यास ले लिया। क्या कोई नहीं जानता कि उत्तर प्रदेश रणजी टीम के पास गेंदबाजी कोच नहीं है? मुझे टीम के साथ रहना चाहिए और यहां मेरठ में नहीं बैठना चाहिए। "कुमार ने कहा।
खुद से डरने लगे थे प्रवीण
"मैं कुछ महीने पहले खुद से डरता था। बुरा समय ऐसा ही करता है। अगर कोई मेरे कॉल का जवाब नहीं देता, तो मैं भयानक तौर पर उपेक्षित महसूस करता। इसने मुझे अंदर ही मार दिया। शुक्र है कि वह काला दौर पीछे छूट गया है। कोई नहीं, पीके फिर वापिस आएगा।"कुमार ने कहा।
आपको बता दें कि कुमार हाल में ही अपने पड़ोसी से मारपीट के आरोप के चलते सुर्खियों में रहे थे।