जानें क्या बोले थे वकार यूनिस
दरअसल भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गये मैच के दौरान जब ड्रिंक्स ब्रेक हुआ था तो पाकिस्तान के सलामी बल्लेबाज मोहम्मद रिजवान मैदान पर नमाज पढ़ते नजर आये थे। रिजवान को सारी दुनिया ने टीवी पर ऐसा करते हुए देखा जिस पर बात करते हुए एआरवाई न्यूज ने पूर्व कप्तान वकार यूनिस और शोएब अख्तर के साथ स्पेशल शो किया।
इस कार्यक्रम में बात करते हुए वकार यूनिस ने कहा कि इस मैच में मेरे लिये कई सारे अच्छे पल थे, लेकिन मेरे लिये सबसे अच्छा पल मोहम्मद रिजवान से आया जिन्होंने मैदान पर खड़े होकर हिंदुओं के बीच नमाज पढ़ी, माशाअल्लाह... मेरे लिये वो बहुत स्पेशल था।
हर्षा भोगले ने वकार यूनिस के बयान पर जताई निराशा
वकार यूनिस के इस बयान को लेकर भारत में काफी निराशा जताई गई है और मशहूर कॉमेंटेटर हर्षा भोगले ने भी इस पर नाराजगी जताते हुए एक के बाद एक सिलसिलेवार तरीके से 3 ट्वीट किये।
उन्होंने अपने पहले ट्वीट में लिखा,'वकार यूनिस के कद का खिलाड़ी अगर यह कहता है कि भारत-पाकिस्तान मैच में रिजवान का हिंदुओं के बीच खड़े होकर नमाज अदा करना सबसे खास पल रहा तो मेरे लिये यह मेरी जिंदगी की सबसे निराशाजनक बातों में से एक है जो मैंने सुनी है। हममे से कई लोग ऐसी बात से दूर रहने की कोशिश करते हैं ताकि इन चीजों को बढ़ावा न मिले लेकिन उनके मुंह से ऐसी बात सुनना काफी शर्मनाक है।'
क्रिकेट के लिये खतरनाक है यह बयान
हर्षा भोगले ने वकार यूनिस के इस बयान को क्रिकेट के लिये खतरनाक बताते हुए कहा कि मुझे उम्मीद है कि पाकिस्तान के खेल प्रशंसक इस बयान से होने वाले नुकसान को समझ सकें।
उन्होंने कहा,'मुझे उम्मीद है कि पाकिस्तान के बहुत सारे लोग जो सही मायनों में खेल को पसंद करते हैं वो इस बयान के खतरे को समझें और मेरे साथ निराशा में जुड़ेंगे। उनका यह बयान मुझ जैसे क्रिकेट प्रेमियों के लिये काफी मुश्किल बना देता है कि वो लोगों को यह कह सकें कि यह सिर्फ खेल है, बस एक क्रिकेट मैच है।'
उम्मीद है जल्द माफी मांगेंगे वकार यूनिस
गौरतलब है कि हर्षा भोगले ने अपनी बात का अंत करते हुए वकार यूनिस से अपने इस बयान के लिये माफी मांगने की बात कही है।
उन्होंने लिखा,'आप क्रिकेटर्स को हमारे खेल के लिये राजदूत के तौर पर देखते हैं जिसके चलते हमारे ऊपर जिम्मेदारी थोड़ी अधिक बढ़ जाती है। मुझे उम्मीद है कि वकार की तरफ से जल्द ही इस पर माफी आयेगी। हमें क्रिकेट जगत को एक करने की जरूरत है न कि उसे धर्म के नाम पर बांटने की दरकार है।'