मैनचेस्टर, जून 15: 'विश्व कप जीतें ना जीतें, कल तो जीतना ही है।'
हम लोग जब ओल्ड ट्रेफर्ड में टीम इंडिया के प्रैक्टिस सेशन की ओर जा रहे थे तभी ट्रैफिक सिग्नल के दौरान एक शख्स ने कार की खिड़की से सिर बाहर निकालकर हमको यह उक्त बात बोली। वह बंदा हमको भी टीम प्लेयर्स समझ रहा था। उसने तभी तुरंत कहा, 'बोल देना उनको।'
इस बात से आप कल के मैच में टीम इंडिया के खिलाड़ियों के ऊपर दबाव की स्थिति को समझ सकते हैं। हालांकि टीम के कप्तान विराट कोहली ने इस मैच को प्रोफेशनल के तौर पर अन्य मुकाबलों की तरह लेने की बात कही है। उन्होंने कहा, 'एक क्रिकेटर के तौर पर जब हम देश के लिए खेलने के लिए चयनित होते हैं तो यह हमारी जिम्मेदारी है कि हर मैच को एक समान तौर पर लें क्योंकि आपको हर मैच में अपने देश के लिए खेलने में प्रतिबद्ध होना है फिर चाहे आपके सामने कोई भी विपक्षी टीम क्यों ना हो।' कोहली ने साफ किया कि इस मैच के लिए भी टीम के अंदर का मौहाल बिल्कुल नहीं बदला है और टीम वैसा ही क्रिकेट खेलेगी जिसके लिए उसको दुनिया में ऊंचा मुकाम हासिल हुआ है।
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जबकि पाकिस्तानी खेमें में मामला इससे काफी उल्टा है। पाक कोच मिकी आर्थर बताते हैं कि हमारा मंत्र साफ है और वो ये है कि आप किस तरह से याद किए जाते हो। इस मैच में किया गया अच्छा प्रदर्शन पाक के खिलाड़ियों को जीवन भर के लिए हीरो बना देगा। आर्थर के मुताबिक उन्होंने पाक टीम से बार-बार यही सवाल पूछा है कि आप कैसे याद किए जाना चाहते हो, आप कैसा इतिहास बनाना चाहते हो?
इसके विपरीत टीम इंडिया के कप्तान मैच की उत्तेजना को केवल फैंस के लिए छोड़ना ज्यादा बेहतर मानते हैं। कोहली कहते हैं, 'फैंस को इस मैच के लिए जोश में आने का पूरा हक है। एक खिलाड़ी के तौर पर हम किसी भी परिस्थिति में बहुत ज्यादा भावुक नहीं हो सकते हैं।' कोहली कहते हैं कि एक खिलाड़ी की मनोस्थिति हमेशा फैंस के मुकाबले अलग ही होगी। फैंस को जरूर इस पल का आनंद उठाने का पूरा हक है जैसे वे बरसों से उठाते आए हैं।
विराट ने यह बात स्पष्ट रूप से कही है। वह कार में बैठा हुआ आदमी भी ये बात सुनकर सहमति में अपना सिर दिला देता। (अंत में दोनों टीमों के बीच विश्व कप में हेड टू हेड आप नीचे देख सकते हैं)
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