मुश्किल विकेट पर भारतीय बल्लेबाजों में इटेंट की कमी-
बारिश के कारण पिच अपना असर बदल चुकी थी और कीवी गेंदबाज विकेटों के दोनों ओर मूवमेंट कराने में कामयाब थे। परिस्थितियां ऐसी थी कि बहुत समय तक टुकटुक बाजी से स्कोर आगे बढ़ने वाला नहीं था। ना ही यह भारत और ऑस्ट्रेलिया की कुछ पिचों जैसी परिस्थिति थी जहां पर आप 60-70 गेंद खेलने के बाद सेट हो सकते हैं। स्विंग गेंदे भारतीयों की समस्या रही है उसके बावजूद बेहतरीन बल्लेबाजों से सजी टीम ने इस हद तक धीमा खेल दिखाया की अनेकों गेंदे जाया करने के बावजूद स्कोरबोर्ड पर रन नहीं लगे।
अक्सर ऐसी परिस्थितियों में काउंटर अटैक करो या मरो वाला काम करता है- या तो यह आपके लिए काम करेगा वरना आप मैच हार जाएंगे। लेकिन मूव करती गेंदों पर धीमी गति से रन बनाने में निश्चित तौर पर आपकी जीत की संभावनाएं बहुत कम हो जाती है। भारत चाहता तो अपने सक्षम बल्लेबाजों से गियर बदल कर बल्लेबाजी की उम्मीद कर सकता था पर विराट कोहली समेत किसी भी बल्लेबाज ने ऐसा करने की जहमत नहीं दिखाई। जबकि इस मैच में हमने देखा जिस भी बल्लेबाज ने सकारात्मक इंटेंट दिखाने की कोशिश की उसके बल्ले से रन निकले।
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पॉजिटिव इंटेंट जिसने दिखाई वहां रन बने-
इस बात का सबूत पहली पारी में रोहित शर्मा हैं जिन्होंने 68 गेंदों पर 34 रनों की पारी खेली जिसमें 6 चौके आए। रोहितआउट होने से पहले अच्छे फॉर्म में दिखाई दे रहे थे। शुबमन गिल भी रोहित का अच्छा साथ दे रहे थे और वह भी कलात्मक अंदाज में बल्लेबाजी करते हुए आगे बढ़ रहे थे उन्होंने 64 गेंदों में 28 रन बनाए जिसमें 3 चौके आए। लेकिन उसके बाद चेतेश्वर पुजारा ने आते ही बैटिंग का मूड खराब कर दिया। उन्होंने 54 गेंदों पर 8 रन बनाए और ना ही वे अपना विकेट बचाने में कामयाब रहे। इस तरह से गेंदों को जाया करना तब न्यायोचित होता है जब आप अपनी टीम के लिए बड़ा स्कोर खड़ा करते हैं जैसे कि राहुल द्रविड़ किया करते थे। लेकिन हम लंबे समय से देखते आ रहे हैं कि पुजारा गेंद खेलने में तो माहिर होते जा रहे हैं और रन बनाने में उतने ही कमजोर।
आप विराट कोहली की बैटिंग देख सकते हैं जिन्होंने जरूरत से ज्यादा चौकन्ना होने की कोशिश की और 44 रनों में 132 गेंद जाया कर दी लेकिन वह ना बड़ी पारी खेल सके और ना अपना विकेट नहीं बचा सके। रहाणे ने सकारात्मक रवैया दिखाने की कोशिश की और 5 चौके लगाकर 117 गेंदों पर 49 रन बनाए। बड़े ऑलराउंडर के तौर पर टीम में शामिल किए गए रविंद्र जडेजा टुकटुक बल्लेबाजी से अपना बेड़ा पार करने की उम्मीद में थे लेकिन वह भी 53 गेंदों पर 15 रन बनाकर चलते बने जबकि रविचंद्रन अश्विन ने पहली पारी में केवल 27 गेंदों पर 22 रन ठोक दिए थे।
दूसरी पारी में भी पहली गलती से सबक नहीं लिया-
भारत जब दूसरी पारी में बैटिंग करने उतरा तो वह जरूरत से ज्यादा रक्षात्मक मूड में था जिसका खामियाजा गिल के विकेट के तौर पर जल्दी ही भुगतना पड़ा जिन्होंने 33 गेंदों पर केवल 8 रन बनाए। चेतेश्वर पुजारा ने एक बार फिर से हद दर्जे की धीमी पारी खेलते हुए 80 गेंद ले ली और बल्ले से केवल 15 रन दिए। इसके बावजूद वह काइल जैमीसन के शिकार हो गए। इससे पहले रोहित शर्मा 81 गेंदों पर 30 रन बनाकर आउट हो गए थे। हम इस पारी में देख सकते हैं कि ऋषभ पंत ने काउंटर अटैक करना शुरू किया और उनके बल्ले से रन निकलने लगे। बाद में उनकी बल्लेबाजी जब तेज नहीं रही तो वे लंबे शॉट के लिए गए और अपना विकेट गंवा बैठे। पंत ने 88 गेंदों पर चार चौके लगाकर 41 रन बनाए। रविंद्र जडेजा दूसरी पारी में भी केवल गेंदे जाया करके ड्रा की और मैच को ले जाना चाहते थे लेकिन यह तरीका काम नहीं कर पाया क्योंकि उन्होंने 49 गेंदों पर 16 रनों की पारी खेली। भारत का कोई भी बल्लेबाज दोनों पारियों में 50 से ऊपर के स्ट्राइक रेट से बैटिंग नहीं कर सका। मुख्य बल्लेबाजों में केवल रोहित शर्मा ने पूरे 50 का स्ट्राइक रेट पहली पारी में निकाला जबकि रविचंद्रन अश्विन ने पुच्छले क्रम पर आकर पहली पारी में 81 का स्ट्राइक रेट निकाला था।
न्यूजीलैंड के बल्लेबाज का रुख बिल्कुल अलग था-
वहीं न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों की बात करें तो उन्होंने भी काफी धीमा खेल दिखाया लेकिन रन तब बने जब निचले क्रम पर आकर काइल जैमीसन और साउदी ने काउंटर अटैक शुरू किया। जैमीसन ने केवल 16 गेंदों पर 21 रनों की पारी खेली जबकि साउदी ने 46 गेंदों पर 30 रन बनाए जो कि बाद में मैच में बहुत प्रभाव छोड़ने वाले साबित हुए। न्यूजीलैंड चाहता तो अपनी दूसरी पारी में भारत की तरह बेहद धीमी बल्लेबाजी करके अपने ऊपर दबाव ला सकता था लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। कप्तान केन विलियमसन ने उसी दिन उसी पिच पर 89 गेंदों पर 52 रनों की काफी तेज पारी खेली जिसमें 8 चौके लगे तो वही रॉस टेलर ने 100 गेंदों पर 47 रन बनाए जिसमें 6 चौके लगाए गए। आप देख सकते हैं दोनों टीमों के बल्लेबाजों की इंटेंट में जमीन आसमान का अंतर था।