नई दिल्लीः मोहम्मद शमी से दक्षिण अफ्रीका में जैसे प्रदर्शन की उम्मीदें थी उस पर खरा उतरते हुए इस तेज गेंदबाज पहले टेस्ट की पहली ही पारी में पांच विकेट लेकर भारत को ड्राइविंग सीट पर ला दिया है। इसके साथ ही शमी 200 विकेट लेने वाले भारतीय तेज गेंदबाजों के इलीट क्लब में शामिल हो गए हैं। इन पांच विकेट के चलते भारत ने प्रोटियाज पारी 197 रनों पर ढेर कर दी जबकि टीम इंडिया ने पहली पारी में केएल राहुल के शतक के दम पर 327 रन बनाए थे।
200 विकेट लेने वाले भारतीय तेज गेंदबाजों की लिस्ट बहुत लंबी नहीं है क्योंकि केवल कपिल देव, जवागल श्रीनाथ, जहीर खान और ईशांत शर्मा ही ऐसा कर पाए हैं। 31 साल के शमी ने इस अवसर पर अपने दिवंगत पिता को याद किया और बताया कि मुश्किल हालातों में उनके पिता के सपोर्ट के बिना वे अपने सपनों को कभी पूरा नहीं कर पाते।
शमी की सीधी सीम ने हर वक्त अफ्रीकी बल्लेबाजों को तंग किए रखा और जैसा की कई बार होता है, शमी ने इस बार भी कई गेंद ऐसी फेंकी जो बल्लेबाजों के लिए खेलनी नामुमकिन थी।
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शमी उत्तर प्रदेश के साहसपुर से आते हैं जो अलमोड़ा जिले में है और उनके गांव में क्रिकेट की सुविधाएं नहीं होने के बावजूद उन्होंने इस खेल को चुना। शमी के पिता का देहांत 2017 में हो गया था। भारतीय तेज गेंदबाज ने याद किया कैसे उनके पिता गांव से 30 किलोमीटर दूर साइकिल चलाकर उनको एक कोचिंग कैम्प में ले जाया करते थे और अपने बेटे को खिलाड़ी बनाने में कितना त्याग किया।
शमी कहते हैं वे ताउम्र अपने पिता के शुक्रगुजार रहेंगे। शमी का कहना है कि आपके हाथ में केवल हार्ड वर्क करना है और अगर आप ऐसा करते हो तो नतीजा मिलता ही है।
यह साल 2018 का समय था जब शमी का भारत और दुनिया के सबसे बेहतरीन तेज गेंदबाजों के तौर पर उभार हुआ। शमी के पास नई और पुरानी दोनों गेंदों से बेहतर करने की काबिलियत है।
शमी मानते हैं कि यह गेंदबाज की ड्यूटी है वह टेस्ट मैच के हालातों के हिसाब से अपने आप को एडजस्ट करे। वे कहते हैं, टेस्ट मैच कोई रॉकेट साइंस नहीं है। अगर आप एक टेस्ट बॉलर हो, आपको फिर हालातों के हिसाब से एडजस्ट करना होगा और उसी लेंथ पर गेंदबाजी करनी होगी।