किट लेकर मां चलती थी पैदल
अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए रहाणे कहा कि कैसे उनकी ट्रेनिंग के लिए उनकी मां 8 किमी पैदल चलती थी, क्योंकि वे लोग रिक्शे का खर्चा नहीं उठा सकते थे। रहाणे ने खुलासा किया, ''मेरा परिवार आर्थिक रूप से अधिक मजबूत नहीं था। हम ट्रेनिंग के लिए मां के साथ जाते थे। मां एक हाथ में उनके छोटे भाई को और एक हाथ में उनके किट बैग को उठाकर करीब 8 किमी तक पैदल चलती थी।''
किराए के लिए नहीं होते थे पैसे
रहाणे ने आगे बताया कि हम पैदल चलते-चलते थक जाते थे। वह अपनी मां से रिक्शे से चलने के लिए कहते थे, मगर उनकी मां कोई जवाब नहीं देती थी। क्योंकि हमारे पास किराए के लिए पैसे नहीं होते थे। इसीलिए हम एक हफ्ते में सिर्फ एक ही बार रिक्शे में बैठकर जाते थे। रहाणे ने बताया कि वो अपने माता-पिता की वजह से ही आज यहां पर हैं और उनके लिए आज भी वही पुराने रहाणे हैं।
ट्रेन में जाने लगे थे अकेले
अपने ट्रेन के सफर के बारे में बताया कि जब वह सात साल के थे तो पहले दिन उन्हें उनके पिता का साथ मिला, जिन्होंने डोंबिवली से सीएसटी तक उन्हें छोड़ा और फिर काम पर गए। मगर अगले दिन उन्होंने रहाणे को कहा कि अब उन्हें अकेले ही सफर करना होगा। इसके बाद उनके पिता डोंबिवली स्टेशन छोड़ देते थे, जहां से रहाणे ट्रेन लेते थे, मगर बाद में रहाणे को मालूम चला कि उनके पिता दूसरे डब्बे में उनके पीछे ही होते थे। वह सीएसटी तक उनके पीछे यह देखने के लिए जाते थे कि उनका बेटा अकेला सफर कर सकता है या नहीं।