धवन को जरूरत से ज्यादा मौके?
भारतीय टीम मैनेजमेंट पर सवाल उठने लगे और इसके पीछे के कारण कई है। सबसे बड़ा कारण टीम चयन को ही लेकर रहा है। करुण नायर का चयन न होना इत्यादि इत्यादि। लेकिन बयानों और सवालों के भूलभूलैया में शिखर धवन का नाम नहीं भूलना चाहिए ।
शिखर धवन इस सीरीज में नाकामी के शिखर पर रहे।शिखर की पारियां बताती हैं कि भारत की हार में उनका योगदान कितना है.. 26, 13, 35, 44, 23, 17, 3 और 1 यह उनकी पिछली पारियों का स्कोर है।
बहस यह है कि क्या भारतीय टीम में शिखर धवन को अभी भी मौका दिया जाना चाहिए। शिखर को टीम से बाहर करना उनकी ताबूत में आखिरी कील मारने जैसा है। धवन को अक्सर विदेश में टेस्ट सीरीज के बीच मैचों में बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। पिछले अफ्रीकी दौरे और ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर भी यही हुआ था। उनसे ज्यादा ताज्जुब मुरली विजय को होता है कि धवन के बाहर जाने पर उन्हें मौका दिया जाता है। बहरहाल भारत के पास मौका था कि भारत पृथ्वी शॉ को आखिरी टेस्ट में आजमा कर देखता। आने वाली ऑस्ट्रेलियाई सीरीज के लिए भारत के पास बल्लेबाजी का एक और विकल्प होता। इस सवाल का जवाब टीम और शिखर धवन ही ज्यादा बेहतर तरीके से जानते होंगे।
पुजारा और रहाणे की पहेली:
दक्षिण अफ्रीका में भारत के दौरे की शुरुआत ही रहाणे को पहले टेस्ट में बैठाने पर उठे सवाल से शुरू हुई थी। इसके बाद चेतेश्वर पुजारा भी अब भी कम असरदार साबित हुए ।तीन नंबर का बल्लेबाज अगर कम समय में ही क्रीज पर बोल्ड और पगबाधा आउट होने लगे तो इस समस्या का समाधान ढूंढा जाना चाहिए। वहीं,रहाणे अपनी हर पारी के दौरान यह साबित करने के फिराक में होते हैं कि वह पहले से सुधार पर हैं। लेकिन उनका वॉकिंग क्रिकेट टीम के लिए निराशा भरा होता है। इंग्लैंड में सीरीज के दौरान भारत के लिए इन दो बल्लेबाजों का विफल होना टीम की सबसे बड़ी विफलताओं में से एक है।
विराट कोहली की कप्तानी पर सवाल:
विराट भले एक बेहतरीन बल्लेबाज हों और वन मैन आर्मी की तरह उनका प्रदर्शन रहा हो लेकिन कप्तानी को लेकर उनकी क्षमता पर काफी सवाल है। भारत के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी सुनील गावस्कर ने विराट की शैली पर सवाल उठाते हुए उन्हें नसीहत दी है। सुनील गावस्कर को लगता है कि विराट कोहली को इंग्लैंड के खिलाफ हाल ही में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में मिली 1-4 की निराशाजनक हार के बाद तकनीकी पहलुओं के बारे में 'काफी कुछ सीखने' की जरूरत है।
सुनील गवास्कर ने कहा कि विराट कोहली को कई मौके पर देखा गया है कि गेंदबाजी और उनके द्वारा लगाई गई फील्डिंग में काफी अंतर होता है। दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर भी ऐसा देखा गया था और इंग्लैंड में भी यह देखा गया । कोहली द्वारा सही समय पर गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण में सही समय पर बदलाव मैच में काफी बड़ा अंतर ला सकता है। विराट ने कुछ साल पहले ही कप्तानी संभाली थी। उनकी कप्तानी में कई बार अनुभव की कमी दिखाई देती है।
नासिर हुसैन ने कप्तान कोहली की कप्तानी पर सवाल उठाते हुए कहा था कि गेंद गली में जाती है तो कोहली अगली गेंद पर गली में फिल्डर खड़ा कर देते हैं। गेंदबाजी में भी बदलाव को लेकर कोहली अपरिपक्व नजर आते हैं। पुछल्ले बल्लेबाजों के खिलाफ जैसी गेंदबाजी लगाते हैं कोहली को कम ही बार सफलता मिलती है।टीम चयन को भी लेकर कोहली स्पष्ट नजर नहीं आते। दूसरे टेस्ट मैच में जब एक अतिरिक्त बल्लेबाज की जरूरत थी तो कोहली ने कुलदीप यादव को एक एक्सट्रा स्पिनर के तौर पर लेकर उतरे और नतीजा सबके सामने था।