नई दिल्ली। खिलाड़ियों ओर खेल के जज्बे की कई कहानियां अक्सर सुनने को मिलती हैं लेकिन ओलंपिक के दौरान यह कहानियां अक्सर जीवंत हो उठती हैं। ऐसे ही खिलाड़ियों की हार न मानने और लड़ने के जज्बे को बनाये रखने की कहानियां टोक्यो में खेले गये ओलंपिक के दौरान भी बनी। ओलंपिक में महिलाओं की 1500 मीटर कैटेगरी दौड़ में ऐसा ही कुछ देखने को मिला जहां पर केन्या की फेथ काइप्योगन ने न सिर्फ अपना गोल्ड मेडल बचाया बल्कि यह भी साफ किया कि जब तक आप हार नहीं मान लेते तब तक आपकी हार तय नहीं होती है।
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महिलाओं की 1500 मीटर रेस में फेथ काइप्योगन ने शानदार आगाज करते हुए पहली 4 लैप में बढ़त को बनाये रखा था, हालांकि आखिरी लैप में कुछ ऐसा हुआ कि वो सभी खिलाड़ियों से पिछड़ गई, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और जान लगा कर दौड़ लगा दी और नतीजे को अपने गोल्ड के रूप में तब्दील कर दिया।
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फेथ ने ओलंपिक रिकॉर्ड के साथ जीता गोल्ड
1500 मीटर की इस रेस ब्रिटेन की लौरा म्यूर ने सिल्वर मेडल जीता तो वहीं पर डच महिला शिफन हसन को ब्रॉन्ज मेडल से संतोष करना पड़ा जो कि गोल्ड की प्रबल दावेदार थी। डच महिला शिफन के लिये यह पहली ओलंपिक रेस थी और वह लगातार फेथ से आगे बनी हउई थी। हालांकि आखिरी राउंड में फेथ ने अपनी स्पीड को ऐसा बढ़ाया कि ओलंपिक रिकॉर्ड भी उनके नाम हो गया और उन्होंने 3:53.11 मिनट के समय में रेस पूरी कर गोल्ड मेडल अपने नाम किया।
हसन 5000 मी रेस ओलंपिक चैम्पियन बनकर यहां पर उतरी थी और उनकी कोशिश थी कि वो अपने गोल्ड मेडल की हैट्रिक लगायें। उन्होंने 10000 मीटर रेस में भी हिस्सा लिया। रेस के ज्यादातर हिस्से में हसन ने फेथ से बढ़त बनाये रखी थी, लेकिन फेथ ने भी इस दूरी को ज्यादा नहीं होने दिया।
गिरने के बाद फिर से हुई खड़ी और गोल्ड जीत लिया
हालांकि जब खेल अपने आखिरी लैप में था दोनों लगभग कंधे से कंधा मिलाकर दौड़ रही थी। अचानक ही फेथ के सामने दौड़ रही अन्य महिला खिलाड़ी गिर जाती है जिससे टकराकर फेथ भी गिर जाती हैं।
इस पल में ऐसा लगा कि फेथ शायद यहां से वापसी नहीं कर पायेंगी, हालांकि फेथ ने ज्यादा समय बर्बाद न करते हुए फिर से उठकर दौड़ लगाना शुरू कर दिया और आखिरी पलों में ऐसी रेस लगाई कि वो हसन को पीछे छोड़ गई। वहींं पर फेथ के गिरने से हसन थोड़ा सा रिलैक्स हुई जिसने फेथ के लिये ओपनिंग दी। वहीं पर हसन के रिलैक्स होने का फायदा ब्रिटेन की धावक म्यूर को भी मिला जिन्होंने 3:54.50 के नेशनल रिकॉर्ड के साथ सिल्वर मेडल अपने नाम किया। इस जीत के साथ ही 27 वर्षीय फेथ ने फाइनल्स में सभी को प्रभावित करने का दौर जारी रखा।
2015 से लगातार कर रही हैं टॉप 2 में फिनिश
गौरतलब है कि 2015 के बाद से फेथ ने हर बड़ी चैम्पियनशिप में या तो जीत हासिल की है या फिर दूसरे पायदान पर रही हैं। फेथ के लिये यह जीत इस कारण से भी खास रही क्योंकि 2019 में अपने बच्चे के जन्म के बाद लगभग दो साल बाद वो वापसी कर रही थी। फेथ ने आखिरी बार 2019 के दोहा विश्व चैम्पियनशिप में हसन से पिछड़ते हुए सिल्वर मेडल हासिल किया था।
जीत के बाद फेथ ने कहा,'मैं बहुत खुश हूं, यह कुछ ऐसी जीत थी जिसकी मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। मैं भगवान का शुक्रिया अदा करती हूं। यह काफी तेज रेस थी और मुझे पता था कि यह मामला आखिरी लैप तक जायेगा। इसमें भाग लेने वाले सभी खिलाड़ी मजबूत हैं लेकिन मैं खुश हूं कि ओलंपिक रिकॉर्ड बना सकी।'
वहीं पर म्यूर ने कहा कि मेडल हासिल न कर पाने के डर ने मुझे इतना तेज भागने के लिये प्रेरित किया। आखिरी के 100 मीटर्स में मुझे नहीं पता कि मैंं पहले कभी इतनी ज्यादा घबराई हुई थी। मुझे इस बात का डर था कि कोई मुझसे आगे निकल जायेगा और मैं चौथे पायदान पर खत्म करूंगी। आखिरी स्ट्रेच में मैंने अपनी जान लगा दी। मुझे नहीं पता कि मैंने नेशनल रिकॉर्ड तोड़ा है या नहीं बस इतना पता है कि यह मेडल मेरा है।