नीरज के पिता ने देश को समर्पित किया मेडल
मैच के बाद नीरज के पिता सतीश चोपड़ा ने अपनी खुशी का इजहार करते हुए कहा,'हम बहुत खुश हैं, हमें इस बात पर गर्व है कि हमारे बेटे ने एथलेटिक्स में भारत को ओलंपिक का गोल्ड मेडल दिलाया। हमें उम्मीद थी कि वो रियो ओलंपिक में भारत के लिये पदक लेकर आयेगा, हालांकि 2016 में वो क्वालिफाई नहीं कर सके। मैं इस गोल्ड को पूरे राष्ट्र को समर्पित करते हुए सभी नागरिकों का धन्यवाद करना चाहता हूं।'
121 साल बाद भारत को मिला जश्न मनाने का मौका
गौरतलब है कि ओलंपिक के इतिहास में नीरज चोपड़ा एथलेटिक्स का पदक जीतने वाले दूसरे ही खिलाड़ी बने हैं, जिसमें से पहला पदक 1900 में आया था। नीरज चोपड़ा ने 121 सालों बाद भारत को एथलेटिक्स का दूसरा मेडल दिलाया, हालांकि आजाद भारत का यह पहला पदक है।
वहीं पर नीरज चोपड़ा की मां ने बेटे की उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि उन्होंने उनका सपना पूरा कर दिया है और अब उनके घर आने पर वो अपना वादा पूरा करेंगी। नीरज चोपड़ा की मां सरोज देवी ने कहा,'मैं टोक्यो से नीरज की वापसी का इंतजार कर रही हूं, उसके वापस आने पर मैं उसकी सबसे पसंदीदा डिश चूरमा बनाकर खिलाउंगी।'
मां ने बताया कैसे जगी भालाफेंक में रूचि
नीरज की मां ने उनके भालाफेंक चुनने के पीछे का कारण बताते हुए कहा कि बचपन में नीरज पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में गये थे जहां पर उन्होंने कुछ खिलाड़ियों को भालाफेंक की प्रैक्टिस करते हुए देखा और तय कर लिया कि वो इसी में करियर बनाना चाहेंगे।
उन्होंने कहा,'नीरज ने बचपन में शिवाजी स्टेडियम में कुछ खिलाड़ियों को भाला फेंकते हुए देखा, उसने उन लोगों के साथ दोस्ती की और भालाफेंक की कला के बारे में ज्यादा जानकारी इकट्ठा की और आज उसने पूरे देश को गर्वान्वित किया। उसे बचपन से ही खेलों में काफी रूचि थी और उसको लेकर उसने काफी मेहनत की। आज सारा गांव जश्न के मूड में है और हम उसका भव्य स्वागत करेंगे।'