नई दिल्ली। पिछले कई सालों से आईसीसी की ट्रॉफी के करीब पहुंचकर चूक जाने वाली न्यूजीलैंड की टीम ने आखिरकार 21 सालों के सूखे को खत्म कर पहली टेस्ट चैम्पियन टीम बनने का मुकाम हासिल कर ही लिया। टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल मैच में कीवी टीम ने भारत को 8 विकेट से हराकर साउथैम्पटन के मैदान पर इतिहास रचने का काम किया। कीवी टीम इससे पहले 2015 विश्व कप के फाइनल में पहुंची थी जहां पर उसे ऑस्ट्रेलियाई टीम ने हराने का काम किया था तो वहीं पर 2019 में उसे बाउंड्री काउंट नियम के चलते इंग्लैंड से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में कीवी टीम ने भारत को हराकर अपनी सबसे बड़ी मुश्किल को खत्म करने का काम किया।
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल ने इसको लेकर शुक्रवार को न्यूजीलैंड की टीम को बधाई देने का काम किया और खास संदेश भी लिखा। कीवी टीम ने मैच के छठे दिन (रिजर्व डे) भारतीय टीम को 170 रन पर समेटने का काम किया और 53 ओवर्स में मिले 139 रनों के लक्ष्य को महज 46 ओवर्स में 2 विकेट खोकर हासिल कर लिया।
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आईसीसी के एक्टिंग सीईओ ज्यॉफ एलॉर्डिस ने कहा,' मैं न्यूजीलैंड की टीम को पहला टेस्ट चैम्पियन बनने पर बधाई देता हूं जिन्होंने दुनिया की बेस्ट टेस्ट टीम बनने के लिये बेहतरीन स्किल्स और जुनून का परिचय दिया। मैं भारतीय टीम को भी बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने लगातार शानदार प्रदर्शन किया और फाइनल के क्वालिफाई कर जीत के इतने करीब पहुंचे।'
एलार्डिस ने दोनों टीमों की तारीफ करते हुए कहा कि भारत और न्यूजीलैंड ने फाइनल मैच में टेस्ट क्रिकेट की क्वालिटी को निखारने का काम किया और दुनिया भर के फैन्स के लिये कई यादें जुटाने का काम किया। इस दौरान उन्होंने दोनों टीमों के बीच खेल भावना की भी तारीफ की।
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उन्होंने कहा,' पिछले 2 साल के दौरान केन और विराट ने विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप जीतने की अपनी इच्छा को किसी से छुपाया नहीं और उनकी यह इच्छा फाइनल मैच के पिछले 6 दिनों में देखने को भी मिली। खेल का स्तर इतना शानदार था कि हमें आखिरी सेशन तक विजेता टीम का पता नहीं था। दोनों टीमों ने अपना बेस्ट प्रदर्शन कर हमें यादों से भरने का काम किया।'
आपको बता दें कि यह फाइनल मैच 2019 में खेली गई एशेज सीरीज से शुरू हुए टेस्ट चैम्पियनशिप साइकिल का नतीजा था जिसे आईसीसी अब हर 2 साल में कराने की योजना तैयार कर चुका है। टेस्ट प्रारूप के प्रति फैन्स की रूचि बनाये रखने के लिये आईसीसी ने यह कदम उठाया है।