इंग्लैंड की बैटिंग बनी चिंता का कारण
एलिस्टर कुक ने इंग्लैंड की बल्लेबाजी की पोल खोलते हुए साफ किया कि पिछले 7-8 महीनों में टीम की बल्लेबाजी टीम की सबसे बड़ी कमजोरी बनकर उभरी है, जिसका नुकसान उसे भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भी उठाना पड़ सकता है। कुक ने इसके पीछे टीम में अनुभवी खिलाड़ियों की कमी को दोषी ठहराया।
पूर्व इंग्लिश कप्तान ने 'वॉन एंड टफर्स शो' में बात करते हुए कहा, 'अगर आप पिछले 7-8 महीनों के दौरान खेले गये टेस्ट मैचों पर नजर डालेंगे तो इंग्लिश टीम पर जब भी दबाव आता है तो बल्लेबाजी विभाग ताश के पत्तों की तरह ढह जाता है। इंग्लिश बल्लेबाज दबाव का सामना करने में नाकाम रहे हैं, ऐसे में भारत के खिलाफ उनका खेल देखना दिलचस्प होगा। यह बड़ी चुनौती साबित होने वाली है।'
अनुभव की कमी बन रही टीम की परेशानी
एलिस्टर कुक का मानना है कि इंग्लैंड की टीम के लिये उसके खिलाड़ियों में अनुभव की कमी सबसे बड़ी परेशानी साबित हो रही है, जिसका असर न्यूजीलैंड के खिलाफ 2 मैचों की टेस्ट सीरीज में भी दिखाई दिया।
उन्होंने कहा,'हम देखते हैं तो खिलाड़ियों में अनुभव की कमी साफ नजर आती है। सिब्ले ने 20, बर्न्स ने 25, क्रॉउली ने 14 और ऑली पोप ने 19 टेस्ट मैच खेले हैं। अगर आप जो रूट को हटा देते हैं तो आपके टॉप 5 में से 4 बल्लेबाजों ने 25 से कम टेस्ट मैच खेले हैं, ऐसे में अगर आप किसी मजबूत टीम के खिलाफ उतरते हैं तो हमेशा चाहते हैं कि टीम में सिर्फ एक ही खिलाड़ी हो जिसके पास 20 से कम मैचों का अनुभव हो और बाकी सब के पास कम से कम 50-60 टेस्ट मैच का अनुभव हो।'
अनुभव के चलते ही ऑस्ट्रेलिया में जीती थी एशेज
एलिस्टर कुक ने अपनी बात के समर्थन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ साल 2010-11 में उसी की सरजमीं पर खेली गई एशेज सीरीज का उदाहरण दिया। इस सीरीज में जो इंग्लिश टीम गई थी उसमें कुक समेत 7 बल्लेबाजों के पास 50 से ज्यादा टेस्ट मैच खेलने का अनुभव था।
उन्होंने कहा, ' 2010-11 में इंग्लैंड की जो टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी, उसमें मेरे अलावा स्ट्रॉस, ट्रॉट , केपी, बेल और कॉलिंगवुड समेत 6 ऐसे खिलाड़ी थे जिनके पास 50 से 60 टेस्ट मैचों का अनुभव था। यह सभी टॉप 6 में बल्लेबाजी कर रहे थे। लेकिन हम अब सिब्ले, बर्न्स और क्रॉउली के साथ जा रहे हैं, जिनके पास 25 टेस्ट मैचों का भी अनुभव नहीं है।'