1. मुरली विजय
मुरली विजय टीम में बतौर सलामी बल्लेबाज खेल रहे हैं लेकिन वे बड़े हिटर नहीं हैं। उनका काम पारी को संभालते हुए ढिली गेंदों पर बड़े शॉट लगाना है ताकि एक छोर पर विकेट भी संभला रहे और दूसरे छोर पर शेन वॉटसन रन-रेट तेज करने का काम करते रहें लेकिन यह बल्लेबाज ना केवल अपनी इस भूमिका में असफल हुआ है बल्कि उनकी फॉर्म भी पटरी से उतरी हुई दिखाई दे रही है।
9 साल बाद लगा उस गेंद का पता जिस पर धोनी ने मारा था 2011 वर्ल्ड कप फाइनल में छक्का
मयंक अग्रवाल भी विजय की शैली के बल्लेबाज हैं लेकिन उन्होंने जिस तरह से दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ जिस तरह से अपनी अर्धशतकीय पारी खेली थी और मैच को सुपर ओवर तक ले गए थे वो काबिलेतारीफ था। मुरली ने पहले मैच में 7 गेंद खेलकर 1 रन बनाया और पैटिंसन के सामने बिल्कुल असहाय नजर आए।
दूसरे मैच में उनको विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए आशिंक शुरुआत मिली लेकिन वे 21 गेंदों पर 21 ही रन बना सके और एक बार भी स्थिर नहीं दिखाई दिए। जैसे ही उन पर रन गति का दबाव आया वो श्रेयस गोपाल की गेंद पर टॉम करन को कैच थमाकर चलते बने।
2. लुंगी नगिदी
अगर पहले मैच के आंकड़े देखें जाए को यह दक्षिण अफ्रीकी तेज गेंदबाज 4 ओवर में 38 रन देकर 3 विकेट लेकर ठीक-ठाक दिखाई देता है लेकिन अभी भी यह गेंदबाज सैम करन और दीपक चाहर की तरह भरोसेमंद नहीं लग रहा है। नगिदी अस्थिर और अनिरंतर लग रहे हैं जिन पर कब कितने रन पड़ जाएं कोई नहीं कह सकता। पहले मैच में 3 विकेट लेने के बावजूद नगिदी अपनी टीम के सबसे महंगे तेज गेंदबाज थे।
नगिदी की लयहीन गेंदबाजी दूसरे मुकाबले में साफ दिख रही थी जब राजस्थान रॉयल्स के बल्लेबाज हावी होकर खेल रहे थे। लेकिन यह आरआर की पारी का अंतिम ओवर था जिसने मैच का नतीजा पलटा। इस ओवर में जोफ्रा आर्चर जैसे गेंदबाज ने नगिदी को जमकर निशाना बनाया और चार छक्के ठोक दिए। इस दौरान दो नो-बॉल हुए और इतनी ही फ्री हिट मिली। 30 रन इस ओवर से खर्च हुए और नगिदी 56 रन चार ओवरों में देकर मैच के सबसे महंगे गेंदबाज बने।
3. महेंद्र सिंह धोनी का नीचे बल्लेबाजी पर आना-
धोनी ने पहले मैच में निचले क्रम पर आकर मात्र 2 गेंदों का सामना किया और 0 पर नाबाद लौटे। धोनी का कहना है कि वे बहुत लंबे समय बाद लौट रहे हैं इसलिए इतनी नीचे आ रहे हैं और दूसरी बात यह भी है कि वे अन्य युवाओं को ऊपरी क्रम पर भेजकर उनका दम भी देख रहे हैं लेकिन यह प्रयोग धोनी को लय दिलाने में कामयाब साबित नहीं हुआ क्योंकि पहले मैच में 2 गेंद खेलने वाले धोनी जब दूसरे मैच में भी 7वें नंबर पर आए तो भी सिवाए सिंगल के उनके गेम प्लान में कुछ नहीं था और जब टीम को आखिरी ओवर में 38 रनों का असंभव लक्ष्य मिला तब उन्होंने टॉम करन पर तीन छक्के लगाकर वाहवाही लूटी। लेकिन सच यह है कि इन छक्कों का मैच के परिणाम पर असर नहीं पड़ना था, हां अगर यह कोशिश दो ओवर पहले की होती तो मामला दिलचस्प बन सकता था।
उम्मीद है कि धोनी को उनकी लय मिल गई होगी और वे किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ पुराने ढंग में नजर आएंगे।