नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को बड़ी राहत दी है। देश की उच्चतम अदालत ने आंध्र प्रदेश के अनंतपुर की कोर्ट में चल रहे धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले को रद्द कर दिया है।
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कोर्ट मे मामला रद्द करते हुए कहा कि इस मामले में धोनी ने जानबूझकर और दुर्भावना के साथ कोई काम नहीं किया है इसलिए इस मामले को खींचने का कोई फायदा नहीं। अदालत ने कहा कि इस मामले में अगर धोनी पर केस चलता है तो ये कानून का मजाक उड़ाना होगा। कोर्ट ने अंग्रेजी मैगजीन के एडिटर के खिलाफ भी केस रद्द किया है।
क्या था मामला?
दरअसल धोनी के ऊपर धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले विज्ञापन करने का आरोप लगा था, जिसके चलते आंध्र प्रदेश के अनंतपुर कोर्ट ने जनवरी, 2016 में गैरजमानती वारंट जारी किया था क्योंकि एक मैगजीन के कवर पेज पर वो विष्णु के रूप में दिखायी दिये थे। इस फोटो में उनके हाथ में एक जूता भी था। जिसकी वजह से धोनी पर बंगलौर के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट में आईपीसी की धारा 295 (धार्मिक भावनाएं आहत करना) के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था।
धोनी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी
इसी कारण धोनी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी जिसमें कहा गया था कि उनके ऊपर से यह केस रद्द किया जाये। धोनी ने कहा है कि इस मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है। मैगजीन ने अपनी मर्ज़ी से उनकी तस्वीर का इस्तेमाल किया। उन्होंने इसके लिए मैगजीन से किसी तरह की कोई राशि नहीं ली थी। सामाजिक कार्यकर्ता जयाकुमार हिरेमथ ने कोर्ट में याचिका दायर कर धोनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी थी।