लगाया चाैथा टेस्ट शतक
मयंक ने पारी के 59वें ओवर की पहली गेंद पर डैरिल मिचेल को चाैका लगाकर 196 गेंदों में अपना शतक पूरा किया। उस उनका 16 टेस्ट मैचों में चाैथा शतक रहा। उनका शतक ऐसे समय में आया जब उनकी बल्लेबाजी की सख्त जरूरत थी। मयंक ने हालांकि शुबमन गिल के साथ पहले विकेट के लिए 80 रनों की साझेदारी की। लेकिन 80 के स्कोर पर शुबमन 44 रन बनाकर आउट हो गए थे। इसके बाद चेतेश्वर पुजारा आए पर वो बिना खाता खोले आउट हो गए। फिर मयंक को विराट कोहली का साथ मिलने की उम्मीद थी, लेकिन कोहली भी जीरो पर आउट हो गए।
हालांकि मयंक क्रीज पर डटे रहे। उन्होंने श्रेयय अय्यर के साथ मिलकर टीम का स्कोर 160 तक पहुंचाया। फिर अय्यर भी 18 रन बनाकर चलते बने। इसके बाद मयंक को विकेटकीपर साहा का साथ मिला, जिस बीच उन्होंने अपना शतक भी पूरा कर लिया। दोनों ने मिलकर टीम का स्कोर 200 के पार पहुंचाने का काम किया। मयंक के लिए यह शतक बेहद जरूरी था, क्योंकि उनके बल्ले से आखिरी टेस्ट शतक नवंबर 2019 में निकला था, जिसे उन्होंने फिर दोहरे शतक में तब्दील किया था। 2019 में मयंक ने 215, 108, 243 रनों की धमाकेदार पारियां खेलीं थीं, लेकिन इसके बाद वह शतक नहीं बना पाए थे। ऐसे में उनके बाहर होने की उम्मीद लगाई जा रही थी, लेकिन अब उन्होंने शतक का सूखा समाप्त कर अपनी जगह बचाने का काम कर लिया है।
कानपुर में हुए असफल तो उठे सवाल
कानपुर में न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में जब मयंक असफल हुए तो उनकी माैजूदगी पर कई सवाल उठने लगे। यहां तक कि आकाश चोपड़ा ने भी राय दे दी कि मयंक को माैका देना नहीं बनता। मयंक ने कानपुर टेस्ट में दो पारियों में सिर्फ 13 और 17 रन बनाए। विराट कोहली पहला टेस्ट नहीं खेल सके थे। फिर अटकलें लगीं कि कोहली के लाैटने से मयंक को बाहर किया जा सकता है। हालांकि, 30 वर्षीय सलामी बल्लेबाज मयंक ने टीम में अपनी जगह बरकरार रखी क्योंकि उप-कप्तान अजिंक्य रहाणे ने हैमस्ट्रिंग की चोट के बाद कोहली के लिए जगह बनाई।
मयंक का स्पिन पर दबदबा
मयंक ने चयनकर्ताओं को यह साबित करने का भरपूर मौका दिया कि वह भारत के लिए टाॅप पर खेलने के लिए काफी अच्छा है क्योंकि वह न्यूजीलैंड के स्पिनरों के खिलाफ एक जवाबी हमला करने वाला मास्टरक्लास लेकर आया था। विराट कोहली बिना खाता खोले आउट हुए तो मयंक ने फॉर्म में चल रहे एजाज पटेल को लॉन्ग-ऑफ बाउंड्री पर मारकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए। मयंक ने अपने पैर का बहुत अच्छा इस्तेमाल किया और स्पिनरों पर आक्रमण किया। उनका अंदाज कुछ ऐसा दिखा जो कोहली, रहाणे और पुजारा हाल के दिनों में लगातार करने में विफल रहे हैं।