चोट की वजह से बाहर हो गये मैदानी अंपायर सी शमसुद्दीन
दरअसल बंगाल और सौराष्ट्र के बीच खेले जा रहे रणजी ट्रॉफी के फाइनल मैच के पहले दिन सोमवार को अंपायर सी शमसुद्दीन के पेट के निचले हिस्से में गेंद लग गई थी जिससे वह चोटिल हो गए थे। मंगलवार को वह अपनी इस चोट के चलते मैदान पर नहीं उतरे और चेकअप के लिये एक स्थानीय अस्पताल पहुंचे।
हालांकि चोट ज्यादा होने की वजह से शमसुद्दीन राजकोट में जारी रणजी ट्रॉफी फाइनल मैच से बाहर हो गए हैं। अब उनकी जगह यशवंत बर्डे को मैदानी अंपायर के रूप में शामिल किया गया है जो कि मैच के तीसरे दिन पहले मैदान अंपायर अनंत पद्मनाभन के साथ जुड़ेंगे।
आखिर क्यों एक ही अंपायर ने दोनों छोरों से की अंपायरिंग
सी शमसुद्दीन के चोटिल होने के चलते मैदान पर खड़े अंपायर अनंत पदमनाभन को दिन के पहले सेशन में अकेली ही अंपायरिंग करनी पड़ी। हालांकि स्थानीय अंपायर पीयूष कक्कर ने आकर कुछ देर मदद की लेकिन वह सिर्फ स्कवॉयर लेग पर ही खड़े दिखाई दिये, उन्हें मेन एंड से अंपायरिंग करने की इजाजत नहीं मिली। बीसीसीआई के नियम के अनुसार मैदान पर दोनों छोरों से एक न्यूट्रल अंपायर का होना जरूरी होता है, लेकिन पीयूष कक्कर राजकोट से ही हैं इसके चलते उन्हें स्क्वॉयर लेग से खड़ा किया गया।
लंच के बाद एस. रवि ने पदमनाभन का साथ दिया और शमसुद्दीन टीवी अंपायर की भूमिका में दिखाई दिए।
सौराष्ट्र की जबरदस्त वापसी, वासवाड़ा ने लगाया शतक
वहीं मंगलवार को रणजी ट्रॉफी फाइनल मैच के दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक आठ विकेट पर 384 रन का स्कोर बना लिया है। सौराष्ट्र के लिये अर्पित वसावड़ा के शतक और चेतेश्वर पुजारा की अर्धशतकीय पारियों के दम पर मैच में मजबूत वापसी की है। मैच के दूसरे दिन इन दोनों खिलाड़ियों ने सौराष्ट्र के लिये 5 घंटे तक बैटिंग की और 380 बॉल का सामना करने के बाद दोनों खिलाड़ियों ने 142 रन का महत्वपूर्ण योगदान दिया।
सेमीफाइनल की तरह अर्पित वसावड़ा ने फाइनल मैच में भी शतक लगाया और दूसरे छोर पर खड़े पुजारा ने भी उनका भरपूर साथ देते हुए 66 रनों का योगदान दिया।