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क्रिकेट के वो 2 रिकॉर्ड जो शायद कभी नहीं टूटेंगे, एक है सचिन तेंदुलकर के नाम

नई दिल्ली। क्रिकेट वैसे तो अनिश्चितताओं का खेल है और ऐसा कहा भी जाता है कि कब कौन सा रिकॉर्ड बन जाए या फिर टूट जाए, इसकी भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं। लेकिन इसके उलट कुछ रिकॉर्ड ऐसे होते हैं जिनके टूटने की संभावना समय के साथ-साथ और मुश्किल होते जाते हैं। यहाँ आकर अनिश्चितता भी स्विंग होने लगती है। क्रिकेट अपने तरीके से ऐसी गुगली फेंकती है कि सारी समझ धरी रह जाती है। हालांकि ऐसा कहने में विरोधाभास तो है लेकिन यह सच भी है और यह इस खेल की एक शानदार खूबसूरती भी है। जैसे कि किसी ने भी ऐसा नहीं सोचा होगा की जो खिलाड़ी अपना पहला एकदिवसीय शतक 79वें मैच में बनाए वह आगे चलकर खेल के नए प्रतिमान गढ़ेगा, लेकिन ऐसा हुआ और वह खिलाड़ी हैं सचिन तेंदुलकर। वहीं दूसरी तरफ किसने सोचा होगा कि एक क्रिकेटर जिसनें प्रथम श्रेणी के क्रिकेट में 30 शतक के साथ 11,167 रन बनाए हों, वह अपने 21 साल के कैरियर में भारत की तरफ से एक भी मैच नहीं खेल पायेगा! अनिश्चितता देखिए कि ऐसा हुआ और वह खिलाड़ी अमोल मजूमदार हैं।

रिकॉर्ड्स

रिकॉर्ड्स

अनिश्चितताओं से परे ऐसे ही ये दो रिकॉर्ड्स हैं जिनके बारे में यह कह सकते हैं कि इसके टूटने की संभावना लगभग नहीं ही है। और ऐसा कहने के पीछे वजह भी है। उन वजहों के तर्क भी हैं। इन दो रिकॉर्ड में एक रिकॉर्ड है लिटिल मास्टर सचिन तेंदुलकर के 200 टेस्ट मैच खेलने का।

सचिन तेंदुलकर

सचिन तेंदुलकर

16 साल की उम्र में 15 नवंबर 1989 को पाकिस्तान के विरुद्ध मैच में डेब्यू कर सचिन ने रिकॉर्ड कायम किया था। और उन्होंने अपना अंतिम टेस्ट मैच 14 नवंबर 2013 को वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था। डेब्यू से लेकर उनके अंतिम मैच खेलने के बीच 24 सालों का एक लंबा पड़ाव है। क्रिकेट जैसे खेल में जिसमें फिटनेस से लेकर प्रदर्शन तक में निरंतरता का रहना आवश्यक है और वर्तमान समय में जब क्रिकेट प्रारूप में विविधता आई है जिसके कारण खिलाड़ियों को नित नए युवा खिलाड़ियों से चुनौती मिलती रहती है, वहां कैरियर का अब इतना लम्बा होना संभव नहीं जान पड़ता है। टेस्ट क्रिकेट का मैच वनडे की तरह होता भी नहीं है। औसत रूप से देखें तो एक टीम एक साल में करीब 8 से 12 मैच खेलती है। अगर किसी खिलाड़ी के लिए एक साल में 10 मैचों का औसत लिया जाए तो उसके क्रिकेट कैरियर को कमसे कम 20 साल लम्बा होना होगा। इसके लिए उसे भी करीब 16 - 17 साल की उम्र में टेस्ट डेब्यू करना होगा और करीब 38 - 40 के उम्र तक क्रिकेट खेलनी होगी। लेकिन वर्तमान में जब खिलाड़ियों के बीच स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा काफी है और क्रिकेट के प्रारूप में T-20 भी है तो टेस्ट मैचों की संख्या भी एक कैलेंडर वर्ष में कम ही हो रहे हैं, तो ऐसे में फिर इतने लम्बे कैरियर का होना और लगातार अच्छा प्रदर्शन करते रहना, दोनों ही असंभव सा है। इसलिए सचिन ने 200 मैच खेलकर जो कर दिया वह क्रिकेट के समुद्र में लाइट हाउस की तरह चमकता रहेगा जिससे नए खिलाड़ी खेल के प्रति समर्पण, जूनून और निरंतरता की प्रेरणा लेते रहेंगे।

सर डॉन ब्रैडमैन

सर डॉन ब्रैडमैन

क्रिकेट में सर डॉन ब्रैडमैन क्या थे इसे एक इस छोटी बात से भी समझ सकते हैं कि सन 1998 में जब ब्रैडमैन से सचिन और शेन वार्न मिले तो यह दोनों इतने अधिक घबराए हुए थे कि यह फैसला नहीं कर पाए कि सर डॉन ब्रैडमैन के साथ पहले किसे बात करनी चाहिए। ऐसी घबराहट सम्मान की वजह से थी। शख्सियत ऐसी होती है। ब्रैडमैन ने कहा भी था की वह सचिन को अपने खेल के करीब पाते हैं। ब्रैडमैन ने सचिन को अपनी सर्वकालिक एकादश में भी शामिल किया था। इनके रिकॉर्ड की बात करें जिसका टूटना लगभग असंभव है तो वह है टेस्ट मैचों में इनके रनों का औसत। ब्रेडमैन अपने क्रिकेट करियर में कुल 52 टेस्ट मैच खेले थे, जिसमें उन्होंने 6996 रन बनाए। इसमें उनके 29 शतक और 13 अर्धशतक शामिल हैं।उनका एवरेज 99.94 का है जो वर्ल्ड रिकॉर्ड तो है ही, इसका टूटना भी मुमकिन नहीं लगता। अगर अपने अंतिम मैच में ब्रेडमैन 4 रन बना लेते तो यह औसत 100 रनों का होता। अब चूंकि खेलने का तरीका और टीमों की सोच बदली है , जिसमें मैच के परिणाम पर अधिकतम फोकस किया जाने लगा है और प्रतिस्पर्धा भी समय के साथ साथ बढ़ ही रही है तो ऐसे में इतने टेस्ट मैच खेलकर औसत को 100 रखना अकल्पनीय लगता है। इसके साथ ही अगर देखें तो 52 टेस्ट मैच में 29 शतक लगाने का कारनामा करना भी इतना आसान नहीं है। सर डॉन ब्रैडमैन का यह रिकॉर्ड भी 'माइलस्टोन' है, जिसे देखते हुए आने वाली पीढ़ी के खिलाड़ी प्रेरणा लेते रहेंगे।

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Story first published: Saturday, November 2, 2019, 15:52 [IST]
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