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5 कारण जिनके चलते रवि शास्त्री की तरह चर्चित नहीं हो पाएगी कोहली-द्रविड़ की जुगलबंदी

नई दिल्लीः भारतीय क्रिकेट कप्तान और हेड कोच रवि शास्त्री की जुगलबंदी का एक सुनहरा दौर समाप्त हो गया है। टी20 वर्ल्ड कप में भारत की लीग स्टेज से विदाई के बाद कोहली ने इस फॉर्मेट से कप्तानी को अलविदा कह दिया और रवि शास्त्री का भी कॉन्ट्रैक्ट यहीं पर समाप्त हो गया। शास्त्री ने पहले ही अपना कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया था।

अब हेड कोच के तौर पर राहुल द्रविड़ रवि शास्त्री की जगह लेंगे और हमको टीम इंडिया के प्रबंधन स्तर पर बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। शास्त्री-कोहली की जोड़ी केवल नतीजे देने के लिए ही नहीं बल्कि आपसी केमिस्ट्री के लिए भी बहुत चर्चित रही। उनको लोगों का प्यार भी मिला और आलोचना भी। अब कोहली को द्रविड़ के साथ मिलकर काम करना होगा लेकिन क्या नए कोच के साथ कोहली की वैसी चर्चित जोड़ी बन पाएगी जैसी उनकी रवि शास्त्री के साथ थी? तो इस बात के आसार कम हैं क्योंकि इसके पीछे कई कारण हैं जिनके बारे में हम यहां बात करेंगे-

विराट कोहली का घटता हुआ प्रभुत्व-

विराट कोहली का घटता हुआ प्रभुत्व-

जब रवि शास्त्री ने भारतीय टीम की कोचिंग संभाली तब कोहली एक बल्लेबाज और एक लीडर के तौर पर अपने उभरने के दिनों में थे। भारत ने इस जोड़ी की अगुवाई में 42 महीनों तक आईसीसी रैंकिंग में टॉप किया।

एक कोच और कप्तान जोड़ी में चर्चित होते हैं। द्रविड़ के लिए जहां यह एक कोच के तौर पर अपने करियर की नई शुरुआत है तो कोहली के बैटिंग करियर की ढलान शुरू हो चुकी है। अब टी20 फॉर्मेट में नई लीडरशिप देखने को मिलेगी और विराट कोहली का रोल मुख्य रूप से टेस्ट मैचों तक सीमित होने के आसार हैं। ऐसे में द्रविड़ की जोड़ी केवल कोहली से नहीं बल्कि सफेद गेंद फॉर्मेट में भारत के अगले कप्तान से भी बनने जा रही है। जाहिर है यह कोहली के एकछत्र राज के खत्म होने की भी शुरुआत है। ऐसे में इस जोड़ी में कोहली इस बार उतने मजबूत नहीं जितने शास्त्री के समय थे।

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कप्तान और कोच की शख्सियत बिल्कुल अलग-

कप्तान और कोच की शख्सियत बिल्कुल अलग-

रवि शास्त्री और विराट कोहली की पर्सनलिटी बहुत हद तक एक जैसी थी। दोनों बिंदास आदमी हैं और अपनी बात कहने में सार्वजनिक तौर पर भी नहीं चूकते। एक जैसे व्यक्तित्व ने दोनों को एक दूसरे के लिए दोस्त टाइप बनने में भी काफी मदद की। शायद ही कोच-कप्तान ने मतभेद या तनाव जैसी बातों की गुंजाइश भी छोड़ी हो। शास्त्री ने कोहली को बढ़ावा और कोहली ने शास्त्री ने। यह एक मजबूत जोड़ी थी जिसने भारत को नतीजे भी दिए और बाहरी आलोचना की कभी परवाह नहीं की। लेकिन द्रविड़ की शख्सियत कहीं अधिक गंभीर और बड़ी है। उनका कद भी खेल में शास्त्री के मुकाबले बहुत बड़ा है। एक क्रिकेटर के तौर पर द्रविड़ भारत के महानतम बल्लेबाजों में एक और एनसीए के लीडर के तौर पर भारतीय क्रिकेट के महानतम टीचरों में एक रहे हैं।

गंभीर द्रविड़ और मस्तमौला कोहली की जोड़ी के एक साथ आगे बढ़कर अच्छे नतीजे देने के आसार है लेकिन इनसे जय-वीरू टाइप वाली कमेस्ट्री की उम्मीद करना कुछ ज्यादा हो जाएगा।

बीसीसीआई में द्रविड़ का प्रभाव-

बीसीसीआई में द्रविड़ का प्रभाव-

इस बार बीसीसीआई की कमान उन दिग्गजों के हाथ में जो भारतीय बैटिंग क्रम की एक समय रीढ़ हुआ करते थे। सौरव गांगुली बीसीसीआई के अध्यक्ष हैं, वीवीएस लक्ष्मण के एनसीए चीफ बनने के आसार हैं और द्रविड़ हेड कोच हैं। ऐसे में कप्तान के हावी होने के चांस कम हैं। कोहली ने कुंबले के ऊपर हावी होकर भारतीय क्रिकेट को एक तरीके से दबाव में ला दिया था। द्रविड़ की पर्सनलिटी भी कुंबले जैसी है लेकिन उनकी ताकत कुंबले की तुलना में कहीं अधिक है। अगर द्रविड़ को कल कुछ कड़े फैसले लेने पड़े तो बहुत संभावनाएं हैं कि बीसीसीआई अपने हेड कोच के पक्ष में खड़ा मिलेगा। जब तक गांगुली हैं तब तक ऐसा होने के चांस रहेंगे।

कोहली भी जानते हैं कि वे कप्तान के तौर पर अपने आखिरी दिनों में हैं। जिम्मेदारियों ने उनकी बैटिंग पर असर डाला है। वे भी काम करना चाहेंगे लेकिन कोहली खुद एक डोमिनेट करने वाली फीगर हैं। ऐसे में ताकतवर कोच के साथ वे अपनी कमेस्ट्री को टॉप पर पहुंचाने की बजाए प्रोफेशनल रिश्तों को बनाए रखने को वरीयता देंगे। जबकि कोहली और शास्त्री की जोड़ी की लोकप्रियता में उनका आउट ऑफ द बॉक्स तालमेल वाला रिश्ता हिट हुआ था। द्रविड़-कोहली की जोड़ी में ऐसे रंग देखने को बमुश्किल ही मिलेंगे।

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द्रविड़ को टिके रहने के लिए कप्तान के सहारे की जरूरत नहीं-

द्रविड़ को टिके रहने के लिए कप्तान के सहारे की जरूरत नहीं-

जब रवि शास्त्री कोच के तौर पर आए तो उन्होंने कोहली के साथ ही जुगलबंदी को अपनी वरीयता में रखा। किसी और खिलाड़ी के साथ उनका ऐसा तालमेल नहीं देखा गया। शास्त्री ने उभरती ताकत कोहली का साथ पाकर अपने कार्यकाल को बिना टेंशन के लंबा खींचा। दोनों एक दूसरे के पूरक बनते गए और सोशल मीडिया पर यह जोड़ी हिट हो गई। द्रविड़ के साथ मामला उलट है। वे एनसीए में रहकर इतने क्रिकेटरों को तराश चुके हैं कि भारत के अधिकांश अगली पीढ़ी के सितारे द्रविड़ के शागिर्द हैं। द्रविड़ सही मायनों में वन मैन फोकस आदमी की जगह एक टीम पर्सन के तौर पर काम करने में अधिक जाने जाते हैं।

द्रविड़ के लिए कप्तान को जरूरत से ज्यादा अहमियत देने और बाकी खिलाड़ियों को कम वरीयता देने की जरूरत नहीं है। जिस तरह से आज धोनी सब क्रिकेटरों के बड़े भाई हैं उसी तरह द्रविड़ भी सभी क्रिकेटरों के कोच की तरह हैं। ऐसे में किसी एक शख्स के साथ उनकी जोड़ी के चर्चित रहने के आसार कम हैं।

रोहित को कोहली का प्रतिद्वंदी समझा जाता है-

रोहित को कोहली का प्रतिद्वंदी समझा जाता है-

अब टी20 फॉर्मेट में रोहित शर्मा के भारत की कमान संभालने के आसान हैं। वे टी20 वर्ल्ड कप में राहुल द्रविड़ के आगमन की तारीफ कर चुके हैं। रोहित के साथ द्रविड़ की जोड़ी को वह चर्चा मिलने के आसार हैं जो कोहली और शास्त्री की जोड़ी ने पाई थी। रोहित और द्रविड़ की जोड़ी की तुलना कोहली और द्रविड़ की जोड़ी से होनी तय है। यह क्लैश भी कोहली के साथ द्रविड़ की जोड़ी को मशहूर बनाने से कम करने का काम करेगा। आने वाला समय एक और टी20 वर्ल्ड कप है और द्रविड़ भारत की झोली में एक आईसीसी इवेंट को डालने के लिए रोहित के साथ काफी काम करने जा रहे हैं।

Story first published: Tuesday, November 9, 2021, 17:18 [IST]
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