नई दिल्लीः प्रकाश पादुकोण ने भारत में बैडमिंटन का जो सफर शुरू किया था वह आज पीवी सिंधु तक आते बहुत आगे बढ़ चुका है। भारत के पूना शहर में अंग्रेजों द्वारा विकसित किया गया यह खेल 80 के दशक में बॉलीवुड अदाकारा दीपिका पादुकोण के पिता प्रकाश ने और फिर 2000 के शतक में उनके शागिर्द पुलेला गोपीचंद ने आगे बढ़ाया। लंबे समय तक बैडमिंट में भारत के पास ये ही दो बड़े नाम रहे। लेकिन अभी भी भारत को इस खेल का शिखर छूना बाकी था जिसकी शुरुआत हुई साइना नेहवाल से।
प्रकाश पादुकोण से मिली शिक्षा को आगे बढ़ाने का किया गोपीचंद ने जब उन्होंने नेहवाल को ट्रेनिंग दी और इस जोड़ी ने काफी चर्चा पाई। इनकी उपलब्धि की एक परिणति थी- लंदन में 2012 में हुआ ओलंपिक। इस ओलंपिक में जो हुआ वह भारतीय बैडमिंटन इतिहास में मील का पत्थर है।
2012 का लंदन ओलंपिक
साइना ओलंपिक में सिंगल इवेंट में कांस्य पदक जीतकर भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गईं जिसने इस महाप्रतियोगिता के इतिहास में बैडमिंटन में मेडल जीता। इस जीत की पटकथा काफी पहले ही लिखी जा चुकी थी। नेहवाल पहले ही 2008 के बीजिंग ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल जीतकर भारतीय बैडमिंटन इतिहास में माइल-स्टोन कायम कर चुकीं थीं। इसके अगले चार सालों में नेहवाल ने कई बीडब्लूएफ ग्रांड प्रिक्स खिताब जीते, इंडोनेशिया ओपन जीता, 2010 का कॉमनवेल्थ गेम गोल्ड जीता। इस दौरान उनकी निगाहें एक ही टारगेट की ओर थी- 2012 का ओलंपिक
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यहां सफर आसान नहीं था क्योंकि नेहवाल की तबीयत बुखार के चलते बिगड़ गई थी लेकिन उन्होंने ग्रुप स्टेज में लगातार दो मैच जीतकर अपने इरादों को जता दिया। राउंड 16 में भी आसान जीत के बाद साइना का कड़ा टेस्ट क्वार्टर फाइनल मैच में हुआ। यह तीन बार की ऑल इंग्लैंड विजेता टाइन बॉन के खिलाफ मुकाबला था। इस मैच को साइना 21-15, 22-20 से जीतने में कामयाब रही।
हालांकि अगले मैच में साइना अपने गेम को उस लेवल तक नहीं ले जा पाईं जो सेमीफाइनल जीतने के लिए चाहिए था। उनको चीन की वांग यिआन से हार का सामना करना पड़ा। यहां से उनको कांस्य पदक मैच खेलने के लिए एक और चीनी चुनौती वांग जिन का सामना करना था। साइना इस बार मुकाबला हाथ से निकलने देना नहीं चाहती थी। उन्होंने जरूरत से ज्यादा एफर्ट लगाए जिसके चलते कई गलतियां भी हुईं। आखिर नेहवाल पहला गेम 21-18 से जीतने में कामयाब रहीं और दूसरे गेम में उनकी प्रतिद्वंदी का घुटना मुड़ गया जिसके चलते नेहवाल को ब्रॉन्ज मेडल सौंप दिया गया।
टोक्यो में नहीं दिखाई देंगी साइना नेहवाल
दुर्भाग्य से साइना नेहवाल टोक्यो ओलंपिक का हिस्सा नहीं होंगी। इसका कारण उनकी खराब फॉर्म रही है और कोविड-19 के चलते सिंगापुर में होने वाला अंतिम ओलंपिक क्वालिफायर भी कैंसिल हो गया। नेहवाल पर्याप्त क्वालिफाइंग अंक नहीं जुटाने के चलते इस बार टोक्यो में नहीं जा पाएंगी। भारत को हालांकि पीवी सिंधु, बी साई प्रणीत और पुरुष डबल्स में चिराग शेट्टी और सत्विकसाई राज से काफी उम्मीदें रहेंगी।