टोक्यो, 02 अगस्त। मुक्केबाज सतीश कुमार रविवार को जब रिंग में मैच खेलने के लिए उतरे तो उस वक्त वह चोटिल थे, लेकिन बावजूद इसके उन्होंने हौसला दिखाया और मैच में भारत का प्रतिनिधित्व किया। सतीश कुमार ऐसे खिलाड़ी हैं जो कभी भी हार नहीं मानते हैं, यही वजह है कि सात टांके लगे होने के बाद भी वह रिंग में मैच खेलने के लिए उतरे। मैच से पहले सतीश कुमार के परिवार वाले कतई नहीं चाहते थे कि वह मैदान में उतरे, लेकिन परिवार के कहने के बावजूद सतीश कुमार मैदान में उतरे।
पत्नी-पिता नहीं चाहते थे खेलूं
हालांकि सतीश कुमार को डॉक्टर ने मैच में खेलने के लिए क्लीयरेंस दे दिया था। लेकिन जिस तरह से वह चोटिल थे और चोट के बाद भी वह रिंग में उतरे उनकी इसके लिए तारीफ हो रही है। सतीश कुमार को मैच में भले ही हार का मुंह देखना पड़ा लेकिन रिंग में उतरकर सतीश कुमार ने करोड़ो लोगों का दिल जीत लिया। सतीश कुमार ने बताया कि मेरी पत्नी चाहती थी कि मैं मैच ना खेलूं, मेरे पिता ने कहा कि तुम्हे इस तरह से खेलते देखना अब बहुत हुआ, इसकी उम्मीद नहीं थी, परिवार तुम्हे चोटिल नहीं देख सकता है, लेकिन बाद में वो समझे कि आखिर मैं क्यों खेलना चाहता था।
बुरी तरह हुए थे चोटिल
दरअसल प्री क्वार्टर फाइनल मुकाबले में सतीख कुमार रिकार्डो ब्राउन के खिलाफ मैच में चोटिल हो गए थे। सतीश कुमार को सात टांके लगे थे, लेकिन बावजूद इसके वह अगला मैच खेलने के लिए मैदान में उतरे। सतीश ने कहा कि मेरे जबड़े पर सात टांके लगे थे, मेरे माथे पर छट टांके लगे थे। मुझे पता था कि मैं लड़ना चाहता हूं, वरना मैं हमेशा अफसोस के साथ जीता, अब मैं सुकून में रहूंगा, मेरे अंदर थोड़ा आत्मविश्वास आएगा, अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए।
दिखाया दम
वर्ल्ड नंबर-1 खिलाड़ी के खिलाफ चोटिल होने के बावजूद मैदान में उतरकर सतीश कुमार ने अपने दृढ़ संकल्प को दिखाया। वह पहले भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने पुरुषों के सुपर हेवीवेट कैटेगरी में देश का ओलंपिक में प्रतिनिधित्व किया। सतीश कुमार अंतिम 8 तक पहुंचे थे। एशियम गेम्स में सतीश कुमार ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। लेकिन टोक्यो ओलंपिक में जिस तरह का साहस सतीश ने दिखाया उसके बाद वह जरूर 2024 के पेरिस ओलंपिक में जबरदस्त तैयारी के साथ उतरने की कोशिश करेंगे।