इसी दिन खत्म हुआ था 28 साल का सूखा
आज ही दिन 7 साल पहले भारतीय क्रिकेट टीम ने हर भारतीय का सपना पूरा कर उन्हें वो एहसास दिया था, जिसके लिए हर क्रिकेट प्रेमी सालों से इंतजार कर रहा था। 2 अप्रैल, 2011 को मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम एक जंग का मैदान बन गया था। 50-50 क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल में मेजबान भारत और श्रीलंका आमने-सामने थे। श्रीलंका के लिए उस वर्ल्ड कप के काफी मायने थे, लेकिन भारत के लिए वो वर्ल्ड कप जीतना ही सबकुछ था। उस दिन हर भारतीय खिलाड़ी 28 साल के सूखे को खत्म करने और सचिन तेंदुलकर के सपने को पूरा करने के खयाल से ही मैदान पर उतरा था।
शुरू में लड़खड़ा गई थी भारतीय टीम
टॉस जीतकर श्रींलका ने पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया। कप्तान कुमार संगाकारा ने जहां 48 रनों की पारी खेली, तो महिला जयवर्धने ने श्रीलंका की तरफ से सर्वाधिक 103 रन बनाए। 50 ओवर में श्रीलंका की टीम 6 विकेट पर केवल 274 रन ही बना सकी थी। इसके बाद भारत की तरफ से सबसे सफल ओपनिंग जोड़ियों में से एक विरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर उतरे लेकिन सहवाग पहले ही ओवर में वापस पवेलियन लौट गए। इसके बाद सचिन भी ज्यादा रन नहीं बना सके। पारी संभालने तीसरे और चौथे नंबर पर गौतम गंभीर और विराट कोहली मैदान में उतरे और दोनों ने 15 ओवर में 83 रनों की साझेदारी की।
कोई कैसे भूल सकता है वो हेलीकॉप्टर शॉट?
कोहली के आउट होने के बाद मैदान पर खुद कप्तान धोनी उतरे। धोनी और गंभीर ही भारत को जीत की तरफ लेकर गए। गंभीर और धोनी ने साथ मिलकर 109 रनों जोड़े। गंभीर 97 रन पर जब आउट हुए तो कप्तान का साथ देने युवराज फील्ड पर आए। दोनों की पार्टनरशिप और धोनी के छक्के ने 49वें ओवर में ही भारत को उसका दूसरा वर्ल्ड कप दिला दिया। 11 बॉल पर जब टीम को जीतने के लिए 4 रनों की जरूरत थी, तब धोनी ने अपने अंदाज में हेलीकॉप्टर शॉट जड़कर टीम को वर्ल्ड कप जीताया। नुवन कुलसेकरा की बॉल पर धोनी ने जैसे ही छक्का मारा, पूरा स्टेडियम जीत की खुशी में चिल्ला उठा। धोनी का वो छक्का शायद ही कोई भी भूल सकता है। देखिये वो यादगार छक्का-
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जीत के बाद पूरे भारत में मनी थी दीवाली
वर्ल्ड कप जीतने के बाद जहां युवराज मैदान पर ही रो पड़े, तो वहीं स्टेडियम में मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गईं। और सिर्फ स्टेडियम ही क्यों, पूरा भारत उस दिन खुशी के आंसू रो रहा था। टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने वो कर दिखाया था, जिसका इंतजार सचिन तेंदुलकर और क्रिकेट प्रेमी सालों से कर रहे थे। मैच के बाद खिलाड़ियों ने सचिन और कोच गैरी कर्स्टन को कंधे पर बिठाकर पूरे मैदान में घुमाया था। 2 अप्रैल को मैच जीतने के बाद देशभर में दीवाली जैसा माहौल हो गया था। लोगों ने सड़कों पर उतरकर पूरी रात जीत का जश्न मनाया था। इस मैच में 91 रनों की नाबाद पारी खेलने के लिए धोनी को मैन ऑफ द मैच और युवराज को मैन ऑफ दी सीरीज चुना गया था।
धोनी की कप्तानी में जीता था दूसरा वर्ल्ड कप
आखिर में मारे गए छक्के के साथ ही धोनी ने एक रिकॉर्ड भी बना दिया था। 2011 वर्ल्ड कप फाइनल से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था कि जब किसी खिलाड़ी ने छक्का जड़कर वर्ल्ड कप फाइनल का मैच जिताया हो। ऐसा करने वाले अभी तक धोनी इकलौते खिलाड़ी हैं। धोनी की कप्तानी में ये दूसरा वर्ल्ड कप है जो भारत ने जीता है। इससे पहले धोनी की कप्तानी में भारत ने साल 2007 में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में हुए टी20 वर्ल्ड कप का खिताब जीता था। इस फाइनल में भारत ने पाकिस्तान को 5 रनों से हराया था। वर्ल्ड कप फाइनल में धोनी पड़ोसियों को हराने में माहिर हैं।