एस बद्रीनाथ (Subramaniam Badrinath)
इस लिस्ट में पहला नाम तमिलनाडु के क्रिकेटर सुब्रमण्यम बद्रीनाथ का है, जिन्होंने इंडियन प्रीमियर लीग के चौथे सीजन में शानदार प्रदर्शन किया था और 2011 के वेस्टइंडीज दौरे के लिये टी20 टीम का हिस्सा बने थे। इस दौरे पर एस बद्रीनाथ को वेस्टइंडीज के खिलाफ एक टी20 मैच की सीरीज में मौका दिया गया, जिसमें उन्होंने महज 37 गेंदों में 43 रनों की पारी खेलकर भारत को 16 रनों से जीत दिलाई। बद्रीनाथ के इस दमदार प्रदर्शन के लिये डेब्यू मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच के अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। हालांकि किसी को नहीं पता था कि बद्रीनाथ का सफर यहीं तक था, बद्रीनाथ इसके बाद भारत की टी20 टीम में दोबारा नजर नहीं आये।
बरिंदर सरन (Barinder Sran)
गुमनाम हो जाने वाले भारतीय क्रिकेटर्स की लिस्ट में दूसरा नाम तेज गेंदबाज बरिंदर सरन का है जिन्होंने 20 जून 2016 में जिम्बाब्वे के खिलाफ अपना डेब्यू करते हुए टी20 मैच खेला था। बरिंदर सरन की शानदार गेंदबाजी के दम पर भारतीय टीम ने जिम्बाब्वे को महज 99 रन पर समेट दिया और एक विकेट खोकर लक्ष्य को महज 13.1 ओवर्स में हासिल कर लिया। बरिंदर सरन ने इस मैच में अपने 4 ओवर के स्पेल में महज 10 रन देकर 4 विकेट हासिल किये। अपने डेब्यू मैच में सरन ने चामु चिभाभा, हैमिल्टन मसकदजा, सिकंदर रजा और टिनोटेंडा मुतोम्बोजी का विकेट लेकर बरिंदर सरन ने मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड जीता। बरिंदर सरन ने इसके बाद इसी सीरीज में एक और मैच खेला जिसमें 2 विकेट अपने नाम किये लेकिन वहीं पर उनका करियर समाप्त हो गया और वो दोबारा भारतीय टीम में जगह नहीं बना सके।
टीनू योहानन (Tinu Yohannan)
इस लिस्ट में अगला नाम केरल की टीम से आने वाले टीनू योहानन का है जो कि पहली बार केरल से आकर भारत के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ी बने। टीनू ने 1999-2000 के दौरान अपना रणजी डेूब्यू किया था जिसके बाद उन्होंने शानदार प्रदर्शन कर चयनकर्ताओं को उन्हें भारतीय टीम में जगह देने पर मजबूर कर दिया। योहानन ने 2002 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला वनडे मैच खेला था जिसमें शानदार गेंदबाजी करते हुए उन्होंने 33 रन देकर 3 विकेट चटकाये और ब्रिजटाउन में खेले गये मैच में मैन ऑफ द मैच बने। टीनू योहानन ने इसके बाद भारत के लिये 2 और वनडे मैचों में शिरकत की जबकी टेस्ट सीरीज में भी उनका करियर 3 मैचों पर ही समाप्त हो गया। वह दोबारा भारतीय टीम में वापसी नहीं कर सके।
नोएल डेविड (Noel David)
इस फेहरिस्त में अगला नाम नोएल डेविड का जिन्होंने हैदराबाद और भारत के लिये 90 के दशक में खूब नाम कमाया। डेविड अपनी बल्लेबाजी के साथ ही अपनी फील्डिंग के लिये भी मशहूर थे जिसके चलते उन्हें भारत का जॉन्टी रोड्स भी कहा जाता था। डेविड 1992-93 में पहली बार चर्चा में आये जब एमवी श्रीधर, विकेट जयसिम्हा और खुद डेविड ने रणजी मैच में रनों का अंबार लगाते हुए आंध्र के लिये 944/6 का विशाल स्कोर खड़ा किया। इस मैच में डेविड ने नाबाद 207 रनों की पारी खेली थी। डेविड के लगातार अच्छे प्रदर्शन के चलते 1997 में जब जवागल श्रीनाथ वेस्टइंडीज दौरे से पहले चोटिल हुए तो उन्हें भारतीय टीम में जगह दी गई। इस दौरे पर उन्होंने पोर्ट ऑफ स्पेन के मैदान पर अपना पहला वनडे मैच खेला और गेंदबाजी में 21 रन देकर 3 विकेट हासिल किये। इसके साथ ही फील्डिंग में भी कई दमदार कैच पकड़े जिसके लिये उन्हें मैन ऑफ द मैच से सम्मानित किया गया। हालांकि इस मैच के बाद डेविड ने 3 और मैचों में शिरकत की लेकिन इस दौरान उन्होंने 112 रन देकर सिर्फ एक ही विकेट हासिल किया जिसके लिये उन्हें टीम से ड्रॉप कर दिया गया और वो दोबारा वापसी नहीं कर सके।
भूपिंदर सिंह सीनियर (Bhupinder Singh Sr.)
इस लिस्ट में अगला नाम भारत के मीडियम पेसर भूपिंदर सिंह का आता है जिन्होंने अपना घरेलू क्रिकेट के 7 सीजन खेलने के बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया। ईरानी ट्रॉफी के फाइनल मैच में भूपिंदर सिंह ने रेस्ट ऑफ इंडिया के खिलाफ 184 रन देकर 10 विकेट अपने नाम किये जिसने उन्हें चयनकर्ताओं के रडार पर ला खड़ा किया। चयनकर्ताओं ने उन्हें 1994 में यूएई की टीम के खिलाफ खेले गये ऑस्ट्रालासिया कप के लिये भारतीय टीम में जगह दी जहां पर उन्होंने पहले ही मैच में यूएई के खिलाफ 34 रन देकर 3 विकेट चटकाये और मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड जीता। इसके बाद जब उन्हें दूसरे मैच में मौका दिया गया तो वो सपाट पिच पर काफी महंगे साबित हुए नतीजन उनकी भारतीय टीम में दोबारा वापसी नहीं हो सकी और उनका अंतर्राष्ट्रीय करियर वहीं पर समाप्त हो गया।