नई दिल्ली। एशिया कप 2018 में भारत और हॉन्गकॉन्ग के बीच खेले गए मैच में हॉन्गकॉन्ग की हार से ज्यादा भारत की जीत के चर्चे हैं। एशिया कप के पहले ही मैच में भारत को जिस तरह से जीत के संघर्ष करना पड़ा उस आधार पर भारत को वनडे की धाकड़ टीम और एशिया कप की गत चैंपियन कहना में क्रिकेट एक्सपर्ट्स को झिझक हो रही है। भारत ने हॉन्गकॉन्ग के सामने 286 का लक्ष्य रखा और उम्मीद की जा रही थी कि भारत हॉन्गकॉन्ग की पारी को जल्दी समेट देगा लेकिन हॉन्गकॉन्ग की टीम ने भारतीय गेंदबाजी आक्रमण का डटकर मुकाबला करते हुए हॉन्गकॉन्ग ने 259 रन बनाया यहीं नहीं भारत की जीत का अंतर भी 26 रन ही रहा। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं, वो छह कारण जिसकी वजह से भारत को जीत के लिए संघर्ष के लिए जूझना पड़ा।
अंतिम ओवर में नहीं बने रन: शुरुआत भले ही भारत की ठीक रही हो लेकिन पारी के अंतिम ओवर में भारत के बल्लेबाजों से रन नहीं बने। मध्यक्रम लड़खड़ाने के बाद पुछल्ले बल्लेबाजों का भी फ्लॉप शो जारी रहा। भारत ने अंतिम 10 ओवर में सिर्फ48 रन ही बनाए। हॉन्गकॉन्ग जैसी टीम के सामने भारत ने डेथ ओवर्स में सिर्फ 48 रन बनाना हैरत भरा रहा और इसी कारण भारत बड़ा स्कोर नहीं बना सका।
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शार्दुल ठाकुर: शार्दुल ठाकुर ने एक ओवर में तीन नो बॉल फेंकी और एक ओवर में 17 खर्चे।सवाल यह है कि क्रिकेट के इस स्तर पर ऐसी गेंदबाजी विकेट तो हासिल नहीं हुआ तो शार्दुल को और क्या मिला।एशिया कप की प्रबल दावेदार माने जाने वाली टीम का गेंदबाज ऐसी गेंदबाजी करे तो यह वाकई चौंकाने वाला होता है।
हॉन्गकॉन्ग की अच्छी शुरुआत: भारत को जीत के लिए संघर्ष करने का सबसे बड़ा कारण हॉन्गकॉन्ग की बल्लेबाजी रही। सलामी बल्लेबाज अंशुमन रथ और निजाकत खान ने भारत के खिलाफ शानदार 174 रन की साझेदारी कर उसे जीत के लिए संघर्ष करने पर मजबूर कर दिया।