अच्छी शुरुआत को भुनाने में नाकाम रही ओपनिंग जोड़ी
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गये 3 मैचों की वनडे सीरीज में सलामी बल्लेबाजों ने निराश करने का काम किया है। टीम के सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा की गैरमौजूदगी में मयंक अग्रवाल को शिखर धवन के साथ ओपनिंग करने का मौका मिला। दोनों ही मैचों में इस जोड़ी ने अर्धशतकीय साझेदारी की लेकिन विशाल स्कोर का पीछा करते हुए इसे बड़े स्कोर में तब्दील कर पाने में नाकाम रहे। मयंक अग्रवाल ने पहले मैच में 22 रन तो दूसरे मैच में 28 रनों की पारी खेली। वहीं शिखर धवन ने पहले मैच में 74 रन की पारी खेली लेकिन इसके बाद वो अपनी इस पारी को दोहरा पाने में नाकाम रहे। दूसरे मैच में धवन ने सिर्फ 30 रन ही दिये और आखिरी मैच में 16 रन बनाकर आउट हुए।
अय्यर-राहुल की खराब फॉर्म
भारतीय टीम के लिये पिछले कई सालों से नंबर 4 और नंबर 5 के खिलाड़ी एक बड़ी समस्या बनकर सामने आये हैं, लेकिन श्रेयस अय्यर और केएल राहुल ने इस नंबर पर काफी अच्छा प्रदर्शन किया और भारतीय टीम की चिंता को दूर करने का काम किया है। हालांकि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में इन खिलाड़ियों का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। श्रेयस अय्यर ने तीन पारियों में 2,38 और 19 रनों की पारी खेली तो वहीं राहुल ने 12,76 और 5 रन की पारी खेली। भारतीय बल्लेबाजी के दो अहम खिलाड़ियों के सस्ते में पवेलियन लौटने के चलते टीम का मध्यक्रम कमजोर हुआ और वह बड़े लक्ष्य का पीछा कर पाने में असफल रही।
ऑलराउंडर खिलाड़ियों की कमी
भारतीय टीम के लिये इस सीरीज में जो सबसे बड़ी कमी रही वह थी ऑलराउंडर खिलाड़ियों की कमी का होना। मौजूदा टीम में जितने भी खिलाड़ी हैं वह यह तो सिर्फ बल्लेबाज या फिर सिर्फ गेंदबाज ही हैं। ऐसे में जब सिडनी में भारतीय गेंदबाज बुरी तरह पिट रहे थे तो कप्तान कोहली चाहकर भी कोई छठा गेंदबाज इस्तेमाल नहीं कर सके थे। वहीं पीठ की सर्जरी के बाद से हार्दिक पांड्या चोट से जूझ रहे हैं जिससे रिकवर होने में उन्हें समय लगेगा। इसी के चलते वह गेंदबाजी नहीं कर सकते, इसके बावजूद उन्होंने दूसरे मैच में गेंदबाजी कर स्टीव स्मिथ का विकेट हासिल किया था लेकिन वह टीम में नियमित बल्लेबाज के रूप में ही खेल सकते हैं, फिलहाल कम से कम एक साल उनके लिये गेंदबाजी में वापसी कर पानी काफी मुश्किल है।
युजवेंद्र चहल की खराब फॉर्म
भारतीय टीम के युवा स्पिनर युजवेंद्र चहल ने आईपीएल में शानदार प्रदर्शन किया था और एक अच्छी फॉर्म में ऑस्ट्रेलिया पहुंचे थे लेकिन इस सीरीज के दौरान वह काफी महंगे साबित हुए और टीम के लिये 19 ओवर गेंदबाजी की और 159 रन लुटाये और महज एक विकेट ही हासिल कर सके। वहीं रविंद्र जडेजा भी 3 मैचों में सिर्फ एक ही विकेट हासिल कर सके। नतीजन 20-40 ओवर्स के बीच जहां भारतीय स्पिनर्स सबसे ज्यादा दबाव बनाने का काम करते हैं तो वहीं इस सीरीज में वह फीके नजर आये और विकेट निकाल पाने में नाकाम रहे।