नई दिल्ली। आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग केस में आजीवन प्रतिबंध झेल रहे भारत के पूर्व तेज गेंदबाज एस. श्रीसंत को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए बीसीसीआई को निर्देश दिया था कि वह इस सजा की मात्रा के बारे में फिर से विचार करे। 15 मार्च को दिए गए इस बड़े फैसले में भारत की सबसे बड़ी अदालत ने इसके लिए बीसीसीआई को तीन महीने का भी समय दिया था।
अब सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इसी मामले में एक और सुनवाई करते हुए कहा है इस मामले को बीसीसीआई के लोकपाल देखेंगे और उनको भी तीन महीने के अंदर इस सजा की मात्रा के बारे में फैसला लेना होगा। गौरतलब है की श्रीसंत को आजीवन प्रतिबंध की सजा 2013 के स्पॉट फिक्सिंग स्कैंडल के चलते सुनाई गई थी।
IPL 2019 : दिल्ली कैपिटल्स की हार के बाद पिच क्यूरेटर पर भड़के रिकी पोंटिंग, जानिए क्या कहा
दरअसल बीसीसीआई ने ही इस मामले में एक याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस भूषण और के.एम. जोसेफ की बेंच ने यह फैसला सुनाया। बीसीसीआई ने कोर्ट को कहा है कि जिस अनुशासन समिति ने श्रीसंत को यह सजा सुनाई थी, वह अब कार्य में नहीं है। इसलिए इस मामले को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त लोकपाल के पास भेजा जाए। कोर्ट ने बोर्ड की यह मांग मान ली है।
इससे पहले कोर्ट ने अनुशासन समिति को ही आदेश दिया था कि वह तीन महीने के अंदर पूर्व गेंदबाज की सजा पर फिर से विचार करे। श्रीसंत ने इस फैसले को अपने लिए संजीवनी सरीखा बताया था और कहा था कि वह क्रिकेट मे किसी भी तरह से वापसी के लिए तैयार हैं। अगर लोकपाल द्वारा श्रीसंत की सजा कम या समाप्त की जाती है तो इस केरल एक्सप्रेस के सामने क्रिकेट में साइड एंट्री के सभी विकल्प खुल जाएंगे। वे चाहे तो किसी टीम से बतौर मेंटर या फिर कोचिंग स्टाफ के तौर पर भी काम कर सकते हैं।