गेंद को अपनी लार से चमकाना संभव नहीं होगा-
लेकिन अब कोरोनावायरस के चलते खिलाड़ियों के लिए गेंद को अपनी लार से चमकाना संभव नहीं होगा। लॉकडाउन हटने के बाद भी यह स्थिति जारी रहेगी। इसलिए आईसीसी इसके लिए किसी कृत्रिम पदार्थ की मंजूरी दे सकता है जो लार की जगह पर गेंद को चमकाने का कार्य करे।
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ईएसपीएन की एक रिपोर्ट में कहा गया है- "प्राधिकरण रेड बॉल को चमकाने के लिए कृत्रिम पदार्थ के उपयोग पर विचार कर रहे हैं। यह कार्य अंपायर की निगरानी में ही किया जाएगा।"
क्या कहते हैं क्रिकेट के मौजूदा नियम-
बता दें कि हेल्थकेयर प्रोफेशन लोगों ने चेतावनी जारी की है कि लार में कोरोवायरस को फैलने के लिए जबरदस्त संभावना है। इसलिए क्रिकेट में अब गेंद पर लार लगाकर चमकाने की परंपरा खत्म हो आगे तय है।
फिलहाल क्रिकेट में गेंद को किसी बाहरी चीज से प्रभावित करना दंडनीय कृत्य माना जाता है। मौजूदा नियम इस प्रकार हैं-
नियम 41.3.2- यह किसी भी खिलाड़ी को गेंद की स्थिति में बदलाव के लिए रोकता है
नियम 41.3.2.1- यह नियम कहता है कि एक फील्डर गेंद को अपने कपड़े से इस शर्त पर चमका सकता है कि कोई कृत्रिम पदार्थ ना इस्तेमाल हुआ है।
वायरस को तेजी से फैलाने में सक्षम है लार-
ऐसे में खिलाड़ी गेंद पर लार लगाकर उसको बार बार कपड़े से रगड़ते हैं लेकिन अब इन नियमों में बदलाव होना तय नजर आ रहा है।
बता दें कि शोएब अख्तर ने भी हाल में यह कहा था कि अगर गेंदबाज अपनी लार के साथ गेंद पर चमक नहीं ला पाते हैं, तो आईसीसी को बाहरी एजेंट (कोई चीज जिसको बॉल पर इस्तेमाल कर चमक बनाई रखी जा सके) पर काम करना चाहिए जो गेंदबाजों की मदद कर सके।
शोएब अख्तर उठा चुके हैं ये मुद्दा-
उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि अब कोई गेंद पर लार लगा सकता है, हम गेंदबाजों को गेंद को चमकाने के लिए गेंद पर लार लगाते हैं, गेंद पार्क में फिर सभी के हाथों में जाती है। मैंने आईसीसी की एक रिपोर्ट देखी जिसमें कहा गया था कि गेंदबाज गेंद पर लार नहीं लगा पाएंगे। उन्होंने कहा, "क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिसमें संपर्क की आवश्यकता होती है, अगर ICC गेंद पर लार लगाने से संबंधित कानून पारित करने के बारे में सोच रहा है, तो मैं कोरोनोवायरस को ध्यान में रखते हुए निर्णय का स्वागत करता हूं," उन्होंने कहा।