नई दिल्लीः भारत को ऑस्ट्रेलिया में जो कामयाबी मिली है उसके लिए राहुल द्रविड़ को पर्दे के पीछे का सबसे बड़ा हीरो बताया गया है। रवि शास्त्री और भरत अरुण की भी तारीफ हुई है लेकिन ये पूर्व चयन समिति के अध्यक्ष एमएसके प्रसाद हैं जिन्होंने काफी समय पहले ही कह दिया था कि उन्होंने भारत की बैंच स्ट्रेंथ पर इतना काम कर दिया है कि अगले 6-7 सालों तक टेंशन लेने की जरूरत नहीं होगी।
प्रसाद ने सरनदीप सिंह, गगन खोड़ा, देवांग गाधी और जतिन परांजपे के साथ मिलकर बतौर सेलेक्टर काम किया। प्रसाद के कार्यकाल को भारत ए टीम के लिए मजबूत खिलाड़ियों का पूल तैयार करने के तौर पर देखा जा सकता है।
प्रसाद ने क्रिकेटनेक्सट से बात करते हुए बताया कि मौजूदा भारतीय सीनियर टीम में अधिक बदलाव की गुंजाइश नहीं थी इसलिए हमारा ध्यान मजबूत बैंच स्ट्रैंथ बनाने पर था।
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उन्होंने आगे कहा- "सौभाग्य से, हमारे पास भारत ए में राहुल द्रविड़ और वरिष्ठ टीम में रवि भाई के साथ एक अद्भुत संयोजन था। काफी बार हम सभी ने एक साथ बैठकर एक मार्ग बनाया, जहां घरेलू से लेकर भारत A से लेकर वरिष्ठ स्तर तक प्रक्रिया बहुत आराम से चली।
"हमारी बहुत स्पष्ट योजना थी। नटराजन को छोड़कर, हम आज की श्रृंखला को देख रहे हैं, बाकी सभी को भारत की व्यवस्थित प्रक्रिया के माध्यम से तैयार किया गया था। पूरा श्रेय मेरे सहयोगियों, हमारी टीम और राहुल द्रविड़ और उनके सहयोगी स्टाफ और रवि भाई और उनके समर्थन को जाना चाहिए। खिलाडियों के सुचारू परिवर्तन के लिए हम जो स्वस्थ वातावरण बना सकते हैं, वही मदद करता है।"
प्रसाद ने कहा कि इंडिया ए टूर तब कराए गए जब उसके कुछ समय बाद सीनियर खिलाड़ियों को वहां का दौरा करना होता था। ए टीम में टेस्ट विशेषज्ञ भी जाते थे ताकि समय पर वे तैयार रहें। उनके साथ खेलकर युवा खिलाड़ी सीखते थे और विदेशी जमीं अच्छा करने के लिए भारत की बैंच स्ट्रैंथ तैयार होती रही।
प्रसाद ने कहा कि हमारी कमेटी के मेंबर 180-200 दिनों तक यात्रा करते थे और एक भी सदस्य ऐसा नहीं था जो मैच के दौरान अपने घर पर बैठा हो। प्रसाद ने बताया कि किसी तरह का पक्षपात ना हो इसके लिए हमने गृह राज्यों से अलग जाकर मैच देखने की रणनीति बनाई।
प्रसाद ने आगे कहा, "2018 में हम पहली बार ऑस्ट्रेलिया में जीते। और दो साल के भीतर हम फिर से जीत गए हैं, और वह भी साइड में सभी सुपरस्टार्स के बिना। यही बात सब कुछ कह देती है।
"BCCI को सलाम, हमें इसका श्रेय देना होगा जहां देय है। जब हमने इंडिया ए सेट की शुरुआत की थी, तब भी वे बहुत सहयोगी थे। उन्होंने सही लोगों को भी सही जगह पर रखा है। आईपीएल का भी श्रेय, जिस तरह से हमारे खिलाड़ी आत्मविश्वास, दबाव, और लड़ाई की भावना के साथ सर्वश्रेष्ठ के खिलाफ खेल रहे हैं। सफलता या विफलता पूरे सिस्टम के प्रयासों का परिणाम है, अकेले टीम प्रबंधन या चयनकर्ता क्रेडिट नहीं ले सकते हैं। यह पूरी व्यवस्था है।
कल तक हम क्रिकेट खेलने के ऑस्ट्रेलियाई तरीके को देख रहे थे। अब पूरी दुनिया को क्रिकेट खेलने के भारतीय तरीके को देखने का समय आ गया है।"