ओपनर हुए फ्लॉप, नहीं मिली सधी शुरुआत
किसी भी टीम को टेस्ट में मिली मजबूत आधरशिला पर ही बड़े स्कोर बनाए जा सकते हैं लेकिन दक्षिण अफ्रीका की पहली पारी के 335 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया के ओपनर एक बार फिर सिरदर्द साबित हुए। टीम इंडिया ने शिखर धवन की जगह लोकेश राहुल को इस मैच में मौका दिया लेकिन वो दोनों पारियों में एक बड़ा स्कोर करने में नाकाम रहे और कप्तान के भरोसे पर सही साबित नहीं हो सके। उन्होंने पहली पारी में 10 और दूसरी पारी में सिर्फ 4 रन बनाकर आउट हुए। पहली पारी में टीम इंडिया ने 28 रन पर जबकि दूसरी पारी में महज 11 रन पर ही पहला विकेट खो दिया। विदेशी पिचों पर टीम इंडिया के लिए उनके ओपनर बल्लेबाज ही 'सिरदर्द' बन गए हैं और विराट ने पोस्ट मैच कॉन्फ्रेंस में भी इस हार के लिए अपने बल्लेबाजों के लचर प्रदर्शन को ही जिम्मेदार ठहराया। ऐसा कहा जा सकता है कि अब लोकेश राहुल को तीसरे टेस्ट में शायद ही बतौर ओपनर मौका मिल सकता है।
मध्यमक्रम की बल्लेबाजी भी हुई फ्लॉप
विदेशी पिचों पर टेस्ट में आज भी टीम इंडिया जिन चीजों से संघर्ष कर रही है वो है मध्यक्रम की बल्लेबाजी। द्रविड़-लक्ष्मण के संन्यास के बाद भारतीय टीम में अभी भी मध्यम क्रम कभी भी ठोस नहीं हो पाया है। चेतेश्वर पुजारा को द्रविड़ के विकल्प के रूप में देखा जाता था लेकिन वो सिर्फ सरजमीं के शेर और विदेशी पिचों पर ढेर हो जाते हैं। हालांकि सेंचुरियन टेस्ट में उनके नाम एक अनचाहा रिकॉर्ड जुड़ गया जिसके दाग को वो जल्द धुलना चाहेंगे। वो पहले ऐसे भारतीय बल्लेबाज हैं जो एक टेस्ट की दो पारियों में दोनों बार रन आउट हुए हैं। मध्यम क्रम में पुजारा जैसे बल्लेबाजों से टीम को एक बड़ी पारी की उम्मीद रहती है लेकिन इस मैच में भाग्य ने उनका दोनों बार साथ नहीं दिया। पहली पारी में उन्हें डेब्यू करने वाले लुंगी गिडी ने पहली ही गेंद पर रनआउट किया जबकि दूसरी पारी में तीन रन लेने के चक्कर में वो रनआउट हुए. इस बार भी गिडी इस सफलता में शामिल थे।
रोहित पर दांव गया बेकार
टीम इंडिया के कप्तान कोहली ने 'ताजा फॉर्म' को वरीयता देते हुए अजिंक्य रहाणे की जगह रोहित शर्मा को टीम में मौका दिया लेकिन उनका यह तुक्का नहीं चल पाया। टेस्ट में रोहित देश और विदेश दोनों में संघर्ष करते नजर आते हैं। अगर आंकड़ों की बात करें तो दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रहाणे का औसत 69.66 का रहा है जबकि रोहित ने 11.25 के औसत से स्कोर किए हैं। एक शृंखला में खराब प्रदर्शन की वजह से रहाणे को जहां बेंच पर बैठना पड़ा वहीं अपने कप्तान का विश्वास जीतकर टीम में जगह बनाने वाले रोहित पहली पारी में 10 और दूसरी पारी में 7 विकेट गिरने के बाद बल्ले भांजे और 47 रन बनाए। टीम इंडिया के कप्तान कोहली ने पहली पारी में शानदार 153 रनों की पारी खेल कुछ उम्मीदें जगाई थी लेकिन दूसरी पारी में गिडी ने उन्हें अपनी धारदार गेंदबाजी में फांस लिया।
लचर फील्डिंग और पार्टटाइम विकेटकीपर
टीम इंडिया ICC टेस्ट रैंकिंग में भले ही नंबर वन का ताज हासिल किए टॉप पर विराजमान है लेकिन जिस 'इंटेंट' का ढिंढोरा विराट दक्षिण अफ्रीका में पीटते दिखे वो टीम में नहीं दिखी और न ही मैदान पर। विराट श्रीलंका के खिलाफ घरेलू टेस्ट को अपनी 'तैयारी' बताते रहे लेकिन सबकॉन्टिनेंट और विदेशी पिचों में जमीन-आसमान का फर्क होता है। कप्तान के तौर पर विराट को दक्षिण अफ्रीका में यह बात सीरीज गंवाने के बाद भली-भांति पता चल गई होगी। स्लिप में लचर क्षेत्ररक्षण की वजह से दक्षिण अफ्रीका ने 35-40 रन अधिक बनाया था। असमान उछाल वाली पिच पर भले ही गेंदबाजों ने अपनी जान झोंक दी लेकिन कई ऐसे मौके थे जब भारतीय फील्डर्स ने आसान कैच टपकाए जिसका उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ा। वहीं दक्षिण अफ्रीका के मॉर्नी मोर्केल और डिविलयर्स ने दो शानदार कैच झटककर मैच का पासा पलट दिया। खुद कप्तान डुप्लेसिस ने भी स्लिप में एक ऐसा कैच लिया जिसकी जमकर तारीफ़ हुई। टीम इंडिया को नंबर वन की प्रतिष्ठा बचाए रखने के लिए इस दिशा में काम करने की दरकार है।
पांड्या का लचर रवैया और रनआउट का सिलसिला
टेस्ट क्रिकेट में ऐसा कहा जाता है कि एक विकेट या एक ओवर मैच की दशा और दिशा दोनों तय करता है। टीम को उस एक ओवर से लगातार फायदा लेना होता है और विपक्षी टीम पर हावी होना होता है। हार्दिक पांड्या ने पहले टेस्ट में जिस तरह की काउंटर अटैकिंग पारी खेली थी उनसे उम्मीद की जा रही थी कि वो एक स्पेसलिस्ट के तौर पर दूसरे टेस्ट में भी टीम को मजबूती प्रदान करेंगे। गेंदबाजी में संघर्ष करते दिखे पांड्या ने मैदान पर भले ही मैदान पर इंटेंट दिखाया हो लेकिन वो जिस तरह इस मैच की पहली पारी में रनआउट हुए उसे जल्द ही भूलना चाहेंगे। उन्होंने बल्ला घसीटना मुनासिब नहीं समझा और क्रीच में पहुंचने के बावजूद उनका पांव हवा में था और वो रनआउट हुए। टेस्ट क्रिकेट में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है। दक्षिण अफ्रीका के डुप्लेसिस भी एक बार टेस्ट में इस तरह आउट हो चुके हैं। टेस्ट में उनके इस लचर रवैये की जमकर आलोचना भी हुई।