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हर किसी को जानना चाहिए कौन थे ध्यानचंद
वीरेंद्र सहवाग ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा-‘देश के हर बच्चे को ध्यानचंद के बारे में जानना चाहिए। वो महज 16 साल की उम्र में आर्मी में भर्ती हुए और 1956 में उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया।'
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चांद निकलने का इंतजार करते थे ध्यानचंद
तीसरे ट्वीट में सहवाग ने लिखा- 'उन्हें (ध्यानचंद) टीम के साथी चांद कहते थे क्योंकि वह प्रैक्टिस के लिए बाहर आने के लिए चांद निकले का इंतजार करता था। उन्हें "जादूगर" कहा जाता था।'
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बिना स्पाइ्स के लगा थी गोलों की झड़ी
चौथे ट्वीट में सहवाग ने 1936 बर्लिन ओलंपिक्स को याद करते हुए लिखा, 'बर्लिन ओलंपिक्स में जर्मनी के खिलाफ ध्यानचंद ने अपने स्पाइक्स निकाल दिए थे और वो नंगे पांव खेले थे।'
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नीदरलैंड के अधिकारियों ने ध्यानचंद की छड़ी तोड़ दी थी
पांचवे ट्वीट में सहवाग ने लिखा- 'बिना स्पाइक्स पहने उन्होंने 3 गोल किए। क्या लीजेंड थे! नीदरलैंड में एक बार अधिकारियों ने उनकी हॉकी की छड़ी जांच करने के लिए तोड़ दी थी कहीं इसमें चुंबक तो नहीं है।'
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हिटलर को सालमी देने से इनकार कर दिया था
छठे ट्वीट में सहवाग ने लिखा- 'कहा जाता है कि 1936 में बर्लिन ओलंपिक्स में भारतीय दल की अगुवाई ध्यानचंद कर रहे थे जिन्होंने एडॉल्फ हिटलर को सालमी देने से इनकार कर दिया था।'
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जादूगर ध्यानचंद को देखना है तो स्टेडियम पर जाएंः बर्लिन
सातवें ट्वीट में सहवाग ने लिखा- 1936 ओलंपिक के दौरान बर्लिन के पूरे शहर में पोस्टर लगवाए थे- "भारतीय जादूगर ध्यानचंद को देखने के लिए हॉकी स्टेडियम पर जाएँ।"
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'तुम गोल इस तरह करते हो जैसे कि रन बना रहे हो'
सहवाग ने अपने आखिरी और आठवें ट्वीट में लिखा-‘सर डॉन ब्रैडमैन ने ध्यानचंद को देखकर कहा था तुम गोल इस तरह करते हो जैसे कि रन बना रहे हो।'