पंडित ने कहा था- इस लड़के का नाम छोटा मत रखना
भुवनेश्वर कुमार, ये नाम भले ही देखने में पुराने समय का लगता हो लेकिन मौजूदा समय में इस नाम का ढंका हर देश में बजता है। आधुनिक दौर में प्रचलन छोटे नामों का है लेकिन भुवनेश्वर के नाम के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भुवनेश्वर की बड़ी बहन रेखा ने बताया कि "एक पडिंत ने हमें कहा कि ये लड़का आगे जाकर बड़ा नाम करेगा। इसलिए इसका नाम छोटा मत रखना। इसका नाम लंबा होना चाहिए। और पंडित ने भुवनेश्वर का नाम दिया।" पंडित की ये बात ठीक निकली और आज भुवनेश्वर कुमार ने सच में इसे साबित कर दिखाया।
सचिन तेंदुलकर को लगातार 12 गेंदों पर नचाया फिर 13वीं गेंद पर 0 पर कर दिया
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भुवनेश्वर के आने से पहले डोमेस्टिक क्रिकेट में कभी भी जीरो पर आउट नहीं हुए थे। लेकिन भुवी ने सचिन को 0 पर आउट होने का स्वाद चखाया था। जी हां, 17 साल की उम्र में पहले फर्स्ट क्लास करियर की शुरुआत करने वाले भुवी पहली बार सुर्खियों में तब आये थे जब उन्होंने सचिन तेंदुलकर को घरेलू क्रिकेट में बिना खाता खोले पवेलियन भेज दिया। ये बात है जनवरी 2009 की। रणजी ट्रॉफी के एक मैच में उत्तर प्रदेश की तरफ से खेलते हुए भुवनेश्वर कुमार ने क्रिकेट इतिहास के महानतम बल्लेबाज़ों से में एक सचिन तेंदुलकर को लगातार 12 गेंद तक परेशान किया और एक सिंगल लेने का मौका भी नहीं दिया। भुवी ने अपनी तेरहवीं गेंद पर तेंदुलकर को आउट करके भारतीय जमीं पर फर्स्ट क्लास मैच में पहली बार शून्य से उनकी मुलाकात करवाई।
भुवी बचपन में ग्लेन मैक्ग्रा के मुरीद थे
भुवी बचपन में ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज ग्लेन मैक्ग्रा के मुरीद थे। भुवी मैक्ग्रा की तरह गेंदबाजी करने के लिए उन्हें घंटों तक निहारते रहते थे। भुवी उन्हीं की तरह एक ही स्पॉट पर लगातार गेंद गिराने की कला सीखते थे।
टीचर को दिया था परफेक्ट रिप्लाई
क्रिकेट को अपना सबकुछ मानने वाले भुवनेश्वर कुमार ने पढ़ाई भी दिल से की थी। एक बार जब भुवनेश्वर के स्कूल के टीचर ब्रजेश ने पूछा कि 'हां भाई तू क्या खेलता है, कहां खेलता है, मैंने कहा कि जो भी कर, अगर खेल रहा है तो ऐसा खेल कि लोग याद करें।' टीचर की इन बातों का भुवी ने परफेक्ट जवाब देते हुए कहा सर, ऐसा ही होगा सर।
ये है भुवनेश्वर कुमार की सबसे बड़ी ताकत
भुवनेश्वर कुमार की ताकत नई गेंद से विकेट लेना है। यही भुवी की सबसे बड़ी पहचान बन गई है। सबसे अच्छी बात ये है कि भुवी दाएं और बायें हाथ के बल्लेबाज के खिलाफ एक जैसे कामयाब हुए हैं।
करियर की पहली ही गेंद पर विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं भुवी
पाकिस्तान के खिलाफ भुवनेश्वर कुमार ने 30 दिसंबर 2012 को वनडे में डेब्यू किया था। भुवी ने अपने वनडे करियर की पहली ही गेंद पर मोहम्मद हफीज को बोल्ड किया था। टीम इंडिया के लिए ये कमाल इससे पहले किसी गेंदबाज ने नहीं बल्कि एक पूर्व ओपनर सदगोपन रमेश ने दिखाया था।
ऑल राउंडर में बन रहा है भारत का ये स्विंग मास्टर
भारतीय क्रिकेट इतिहास में बहुत कम बार ऐसे मौके आए हैं जब किसी शुद्ध गेंदबाज ने टीम को जीत दिलाई हो। पिछले साल श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज के एक मैच में भारतीय टीम श्रीलंका के स्पिनर अकीला धनंजया की फिरकी के आगे पस्त हो चुकी थी। तब बल्लेबाज बनकर आए भुवनेश्वर कुमार ने एमएस धोनी के साथ मिलकर टीम को मुश्किल जीत से उबारते हुए एक आसान सी जीत दिला दी। भुवी अब एक परफेक्ट लॉअर ऑर्डर बल्लेबाज बन चुके हैं। इसका अंदाजा आप इन आंकड़ों से लगा सकते हैं।
टेस्ट मैच के आंकड़ें- भुवी ने अब तक 21 टेस्ट मैचों की 29 पारियों में बल्लेबाजी करते हुए 552 रन बनाए हैं। इस बीच भुवी ने 3 अर्धशतक भी लगाए हैं।
वनडे मैच के आंकड़े- भुवी ने 83 वनडे मैचों की 37 पारियों में 392 रन बनाए हैं। भुवनेश्वर कुमार एक छोर से अपना विकेट संभाले रखने की क्षमता रखते हैं।
थोड़ा नाटकीय रहा था ब्रिटिश दौरा, लेकिन छा गए थे भुवी
भारत को 2013 के इंग्लैंड दौरे पर 1-3 की दर्दनाक हार झेली थी। लेकिन भुवनेश्वर कुमार ने पूरे दौरे के दौरान काफी प्रभावशाली प्रदर्शन किया हरफनमौला प्रदर्शन के कारण भारतीय प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया था। न सिर्फ उन्होंने नाटिंघम में 5/82 और लॉर्ड्स में 6/82 शानदार प्रदर्शन किया बल्कि उन्होंने 9 नंबर पर रन भी बनाए, जिसमे तीन अर्धशतक शामिल थे।