नई दिल्ली। कहा जाता है कि टीम इंडिया के मौजूदा खिलाड़ियों में दिनेश कार्तिक ऐसे शख्स हैं, जो काफी अंडर-रेटेड रहे हैं। कार्तिक शानदार बल्लेबाज होने के साथ-साथ तेज विकेटकीपर भी हैं, लेकिन कभी वो टीम में अपनी जगह पक्की नहीं कर सके। टीम इंडिया के विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक की तुलना हमेशा पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से होती रही है। क्रिकेट विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर धोनी न होते तो दिनेश कार्तिक ही टीम के रेगुलर विकेटकीपर बल्लेबाजी होते। हालांकि कई सालों तक लगातार चुप रहने के बाद दिनेश कार्तिक ने आखिरकार इस मामले पर अपने चुप्पी तोड़ी है।
चोटिल रिद्धिमान साहा की जगह अफगानिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच में शामिल किए गए कार्तिक ने बांग्लादेश के खिलाफ 2010 में अपने करियर का 23वां और आखिरी टेस्ट खेला था। उसके बाद से भारतीय टीम ने 87 टेस्ट खेले जिनमें कार्तिक टीम में नहीं थे। अब कार्तिक ने इस पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, 'मैंने अपना स्थान किसी आम क्रिकेटर को नहीं गंवाया। धोनी खास थे और मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं। उस समय मैं लगातार अच्छा प्रदर्शन भी नहीं कर सका। अब मुझे एक और मौका मिला है और मैं अपनी ओर से पूरी कोशिश करूंगा।'
अफगानिस्तान के खिलाफ टेस्ट से पहले कार्तिक ने कहा, 'मेरे लगातार अच्छा प्रदर्शन न कर पाने की वजह से मैं ज्यादातर समय टीम इंडिया से बाहर रहा। धोनी ने उसी समय खुद को मैदान पर साबित किया और न सिर्फ बेहतरीन क्रिकेट केले बल्कि टीम इंडिया को अपने नेतृत्व में दो वर्ल्ड कप भी जितवाए। धोनी ने मुझसे ज्यादा बेहतर किया इसलिए वो टीम के कप्तान भी बने।'