बर्मिंघम: जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी की जोड़ी अभी भले ही डेनिस लिली और जेफ थॉमसन के मुकाबले की ना हो लेकिन कौन जानता है एक दिन यही जोड़ी इस स्तर पर पहुंच जाए। बुमराह जहां विश्व कप 2019 की शुरुआत से ही टीम इंडिया की नंबर वन पसंद थे तो वहीं शमी ने थोड़ी देर से एंट्री की है। उनको भुवनेश्वर कुमार के चोटिल होने का फायदा मिला और उसके बाद वे टीम में छा गए। उन्होंने अपने शुरुआती तीन मैचों में ही 13 विकेट निकालकर खुद को टीम के स्ट्राइक गेंदबाज के तौर पर स्थापित कर दिया।
हालांकि इंग्लैंड के खिलाफ मैच में शमी की गेंदबाज में निरंतरता की कमी साफ नजर आई। उन्होंने अपने शुरुआती 7 ओवर में जहां 25 रन देकर चार विकेट लिए थे तो वहीं बाद के तीन ओवरों में 44 रन लुटा दिए। बांग्लादेश के मैच में भी यही देखने को मिला। इंग्लैंड के खिलाफ जहां बटलर और स्टोक्स ने शमी की गेंदों पर रन बनाए तो वहीं इस मैच में शब्बीर रहमान और मोहम्मद सैफुद्दीन ने उन पर बल्ला खोला। लेकिन इस मैच में जसप्रीत बुमराह ने शमी का अधूरा काम पूरा कर दिया।
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विश्व कप 2019 के 19 गेंदबाजों में जिनके नाम 10 या उससे ज्यादा विकेट हैं बुमराह का इकॉनमी दूसरे स्थान पर है। उनसे बेहतर केवल ट्रेंट बोल्ट है जिनका इकॉनमी रेट इस समय 4.55 है और बुमराह का 4.60 है। बांग्लादेश के खिलाफ चार विकेट लेने के बाद उनके और शमी के नाम 14-14 विकेट हो चुके हैं। बुमराह की गेंद बहुत ही जटिल है। उनकी गेंदों की गति में अचानक बदलाव हो जाता है। मंगलवार को हुए मैच में भी उनका पहला विकेट शब्बीर के रूप में तब आया जब उन्होंने एक धीमी गेंद फेंकी थी।
टीम इंडिया में इस भले ही शमी और भुवनेश्वर, बुमराह से ज्यादा अनुभवी हों लेकिन निरंतरता और सोच की स्पष्टता के मामले में बुमराह किसी से भी कोसो आगे हैं और यह अपेक्षाकृत जूनियर गेंदबाज अपने अन्य सीनियर समकक्षों की तुलना में काफी ज्यादा घातक है और वह भारतीय तेज गेंदबाजी अटैक के निर्विवादित लीडर बन चुके हैं। अगर आपका विकेट शमी नहीं ले पाएंगे तो बुमराह जरूर ले लेंगे।