Ind Vs Aus: तीसरे टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जिस तरह से भारतीय टीम ने अदम्य साहस का प्रदर्शन किया और अंत तक हार नहीं मानी उसके लिए यह मैच आने वाले कई सालों तक याद किया जाएगा। मैच को बचाने के लिए आर अश्विन और हनुमा विहारी ने मिलकर 42.4 ओव तक बल्लेबाजी की और ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों के मनोबल को बुरी तरह से तोड़ दिया। चौथी पारी में भारतीय टीम ने कुल 131 ओवर तक बल्लेबाजी की जोकि अपने आप में एक रिकॉर्ड है। भारतीय टीम ने दूसरी इनिंग में सिर्फ पांच विकेट गंवाए और पांचवे दिन दिनभर बल्लेबाजी कर कंगारू गेंदबाजों को पस्त कर दिया। विहारी और अश्विन की जुझारू और साहसिक पारी की बदौलत भारत सिडनी टेस्ट को ड्रॉ कराने में सफल रहा।
इस मैच में चेतेश्वर पुजारा की धैर्यवान पारी और रिषभ पंत की आतिशी बल्लेबाजी को आने वाले समय में याद किया जाएगा। जिस तरह से पुजारा ने 77 रनों की पारी खेली और पंत ने 118 गेंदों पर 97 रन बनाए उसके बाद एक समय में ऑस्ट्रेलिया को यह डर सताने लगा था कि कहीं वह इस मैच को गंवा ना दें। बहरहाल चार टेस्ट मैचों की सीरीज में तीसरा टेस्ट ड्रॉ होने के बाद दोनों ही टीमें अभी 1-1 की बराबरी पर हैं और आखिरी टेस्ट जोकि गाब्बा में खेला जाना है वह सीरीज का निर्णायक मैच होगा।
भारतीय टीम के जबरदस्त प्रदर्शन की पूर्व खिलाड़ी सुनील गावस्कर ने जमकर तारीफ की है। उन्होंने कहा कि सच कहूं तो मुझे इस बात की कतई उम्मीद नहीं थी कि भारतीय टीम पांचवे दिन चायकाल तक भी टिक पाएगी। गावस्कर ने कहा कि रिषभ पंत ने नाथन लॉयन की लय को पूरी तरह से बिगाड़ दिया था। वहीं जिस तरह से चेतेश्वर पुजारा ने बल्लेबाजी की उसे देखकर गर्व होता है। राहुल द्रविड़ के 48वें जन्मदिन पर यह जबरदस्त तोहफा था।
गावस्कर ने कहा कि मुझे उम्मीद नहीं थी पांचवे दिन चायकाल तक भारतीय टीम टिक पाएगी, लेकि जब रिषभ पंत आए और नाथन लॉयन को लंबे लंबे छक्के मारने लगे और फिर चेतेश्वर पुजारा दीवार बनकर खड़े हो गए। 11 जनवरी को असल में द वॉल राहुल द्रविड़ का जन्मदिन था और वह अपने जन्मदिन के मौके पर यह देखकर कितना खुश हो रहे होंगे, भारतीय क्रिकेट के इथिहास में इस मैच को जबरदस्त फाइट बैक के तौर पर याद किया जाएगा। मैंने ऑस्ट्रेलियन टीवी पर कहा था कि भारत इस सीरीज को 2-1 स जीतने जा रहा है,फिलहाल सीरीज 1-1 से बराबरी पर है। मुझे पता है कि गाब्बा ऑस्ट्रेलिया का गढ़ है लेकिन भारत को ऑस्ट्रेलियन का किला भेदना आता है। 1988 के बाद से ऑस्ट्रेलिया यहां कभी हारा नहीं है, लेकिन हमेशा हर चीज पहली बार होती है। अगर अजिंक्या रहाणे और उनकी टीम यह करती है तो मैं आश्चर्यचकित नहीं होउंगा।