लीड्स : जब इंग्लैंड दौरे पर मौजूद भारतीय टीम की प्लेइंग इलेवन में ईशांत शर्मा की जगह पर शार्दुल ठाकुर को लेने की बात होती थी तो कई लोगों के सिर चकरा जाते थे कि आखिर यह क्या हो रहा है? एक तरफ ईशांत जैसा अनुभवी धार-धार गेंदबाज और दूसरी तरफ मध्यम गति के नए रंगरूट शार्दुल ठाकुर। इनका तो कोई मुकाबला ही नहीं है, फिर इस तरह की बातें क्यों उड़ती रहती हैं? लेकिन टीम प्रबंधन बाहरी लोगों की तुलना में कहीं अधिक बारीकी से क्रिकेटरों को जानता है और परिस्थितियों को पकड़ता है।
ईशांत शर्मा ने साबित कर दिया है कि वह क्यों शार्दुल ठाकुर के स्थान पर अपनी जगह गंवाने के प्रमुख दावेदार रहते हैं। जब लीड्स में भारतीय गेंदबाजी को ईशांत की सबसे ज्यादा जरूरत थी तब उन्होंने ऐसे घुटने टेके की अंग्रेजों की गाड़ी टॉप के गियर में उड़ान भरने लगी। ईशांत की नाकामी ने इंग्लैंड को बहुत बड़ा स्कोर बनाने में मदद की। एक तरफ इंग्लैंड के जेम्स एंडरसन हर टेस्ट मैच के बाद और अधिक अनुभवी दिखते जाते हैं तो दूसरी तरफ ईशांत शर्मा का कब किस मैच में गेम डांवाडोल हो जाए यह कोई नहीं बता सकता।
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भारत की यह टीम भले ही कितनी मजबूत हो लेकिन इसके खिलाड़ियों की महानता में निरंतरता की कमी ही सबसे बड़ा रोड़ा है और ईशांत शर्मा भी एक ऐसे खिलाड़ी रहे हैं। भारत की पहली पारी में ईशांत ने दूसरे दिन की समाप्ति तक 22 ओवर फेंके और बुरी तरह पिटते हुए 92 रन लुटा दिए उनके खाते में ना एक विकेट आया और ना ही कोई ओवर मेडन गया। दूसरी ओर जसप्रीत बुमराह थे जिन्होंने विकेट कम लिए लेकिन बॉलिंग कसी हुई की और मोहम्मद शमी ने 3 विकेट भी लिए। युवा मोहम्मद सिराज को भी दो विकेट हासिल हुए।
ईशांत शर्मा ने किसी गेंदबाज की कोई सहायता नहीं की जिसके चलते अब भारत इंग्लैंड को मिली इस बड़ी लीड को पाटने में असमर्थ दिखाई देता है। जब ईशांत शर्मा किसी बच्चे की तरह बॉलिंग कर रहे थे तो कई लोगों को लगा कि शायद इनकी फिटनेस में कोई कमी है लेकिन मोहम्मद शमी का कहना है कि इस तरह की कोई समस्या नहीं है।
शमी ने दूसरे दिन की समाप्ति के बाद कहा, "देखो, जब किसी बॉलर का हाथ गेंद पर फिट नहीं बैठता तब कप्तान उसको छोटे-छोटे स्पेल देता है जो तीन से चार ओवर के होते हैं। आपको लगातार 7-8 ओवर के स्पेल टेस्ट मैच में फेंकने की जरूरत नहीं होती है।"
ईशांत की फिटनेस पर बात करते हुए शमी कहते हैं, "आपने देखा होगा ईशांत शर्मा ने कैसे पारी की शुरुआत की और किस तरह से उसको खत्म भी किया इसलिए उनके फिटनेस में कोई संदेह नहीं है। यह तो केवल कप्तान है जो देखता है किस बॉलर को कितनी रिकवरी चाहिए और कितने कितने ओवर देने चाहिए और उन ओवरों में भी स्पैल लंबे हो या फिर छोटे, यह केवल कप्तान की सोच होती है, बॉलर की नहीं।"
ईशांत शर्मा ने भले ही कंधे झुका दिए लेकिन मोहम्मद शमी लगातार शे दिल से बॉलिंग करते रहे जिसके चलते उनको रॉरी बर्न्स, जॉनी बेयरस्टो और जोस बटलर जैसे विकेट मिले।