नहीं जानते थे काैन हैं गंभीर
वेंकी मैसूर ने खुलासा किया कि जब बोली लग रही थी तो वह नहीं जानते थे कि गंभीर काैन हैं। उन्होंने कहा, 'यह सच है कि गौतम गंभीर को खरीदने से पहले मैं उन्हें बिलकुल भी नहीं जानता था। जहां तक मुझे याद है तो केकेआर के इतिहास में कई कभी न भूलने वाले पल रहे हैं। 2011 में पहली बार नीलामी में मैं गया था। हमारी अपनी योजनाएं थीं। मेरे साथ, एक बात यह थी कि हम कभी एक योजना पर अड़कर नहीं रहते थे। नीलामी के बर्ताव को देखते हुए हमारे पास प्लान ए, प्लान बी, प्लान सी तैयार रहता था।'
घबराए हुए थे वेंकी मैसूर
उन्होंने आगे कहा, 'मुझे लगा कि हम बहुत अच्छी तरह से तैयार थे लेकिन फिर भी हम काफी घबराए हुए थे। यह मेरी पहली नीलामी थी, और मैं वहां बैठा था। मालिकों ने फोन किया कि ये तुम्हारा बच्चा और प्रोजेक्ट है। इसे तुम्हें चलाना है। तुम्हारी योजना, तुम्हें जाना और काम में लाना है। जब से मैं केकेआर में शामिल हुआ तब से यही योजना चल रही है। जय और जूही भी टेबल पर आकर बैठ गए। मगर टेबल पर फैसले लेते समय वो किसी में भी शामिल नहीं हुए। हमने उन्हें छोटे में बताया था, हमने बात की और उनके अपने आइडिया था। आखिरकार, उन्होंने कहा कि आपका फाइनल कॉल होगा। आप लोगों ने हमसे ज्यादा विचार किया होगा।'
धड़क रहा था सीईओ का दिल
मैसूर ने कहा, 'मैं वहां बैठा था और उम्मीद कर रहा था व अपनी प्रार्थनाओं में कुछ कह रहा था। मेरा दिल जोर से धड़क रहा था। मैं अन्य टीमों और मालिकों के पहचान वाले चेहरे देख रहा था और वो सभी अपनी-अपनी टेबल पर बैठे थे। फिर मैंने अपने आप से कहा, यह अभ्यास मैच की तरह है- जैसे बल्लेबाज को क्रीज पर आने से पहले कुछ नॉक-डाउन की जरूरत होती है। तो मैंने सोचा कि कुछ नामों को नीलामी में आने दो, जिसमें हमारी रुचि नहीं है। फिर देखते हैं कि क्या होता है। नीलामी में सबसे पहला नाम गंभीर का आया, जिसे सुनकर हम सब भौचक्के रह गए। यह अविश्वसनीय था। हम दृढ़ निश्चयी थे। हमारे पास बजट थे और हमारी रणनीति में रकम को लेकर ब्रेक-अप भी थे। मेरे दिल ने कहा कि गौतम गंभीर को खरीदना सही होगा। कोच्चि टीम भी उन्हें खरीदने के लिए बराबरी से प्रोत्साहित थी। इसके लिए डॉग-फाइट हुई। शेष इतिहास है।' बता दें कि गंभीर के 2018 में फ्रेंचाइजी को छोड़ने के बाद दिनेश कार्तिक को केकेआर का कप्तान बनाया गया है।