बिना 2 मैच खेले पाई सफलता
इस विश्व कप का आयोजन तीन देशों भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका ने मिलकर किया था। कुल 12 टीमें हिस्सा ले रही थीं। सभी टीमों को 6-6 के दो ग्रुपों में बांटा गया। ग्रुप चरण के शुरुआती मैच तो अच्छे से हुए मगर असली विवाद तब शुरु हुआ जब श्रीलंका में मैच खेलने की बात आई। दरअसल विश्व कप शुरु होने से कुछ दिनों पहले ही तमिल विद्रोहियों ने वहां 90 लोगों की हत्या कर दी थी। आस्ट्रेलिया और विंडीज ने श्रीलंका में खेलने से मना कर दिया। इसका फायदा श्रीलंका को ही मिला। आईसीसी ने दोनों मैचों के लिए श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया और टीम ग्रुप में टाॅप कर गई।
सेमीफाइनल भी रहा विवाद में
इसके बाद श्रीलंका का सेमीफाइनल मुकाबला भारत के साथ था। मुकाबला ईडन गार्डन में खेला गया। आखिर में जब मैच श्रीलंका के पक्ष में जाने लगा तो भारतीय फैंस ने बवाल करना शुरु कर दिया। मैदान में बोतलें फेंकी गई। हद तो तब हुई जब गुस्साई भीड़ ने स्टेडियम में आग लगा दी। मैच को तुरंत ही रोकना पड़ा और मैच रेफरी ने श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया। इसके बाद श्रीलंका की इंट्री सीधे फाइनल में हुई।
फाइनल में फिर कंगारूओं को दी मात
खिताबी मुकाबला लाहाैर के गद्दाफी स्टेडियम में हुआ। आस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका के सामने 7 विकेट खोकर 242 रनों का लक्ष्य रखा। जवाब में श्रीलंका ने अरविंद डि सिल्वा के 107 रनों की मदद से 7 विकेट रहते मैच अपने नाम कर लिया। इसी के साथ श्रीलंका विश्व कप चैंपियन बन गया।