पार्थिव पटेल ने देखे कई दौरे के तेज गेंदबाज
भारत के विकेटकीपर बल्लेबाज पार्थिव पटेल को इनमें से कपिल देव को छोड़कर उपरोक्त सभी तेज गेंदबाजों के सामने कीपिंग करने का सौभाग्य मिला है, और श्रीनाथ तो अपने आप में एक चुनौते थे।
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पार्थिव, जिन्होंने 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ 17 साल की उम्र में भारत के लिए पदार्पण किया, ने श्रीनाथ के साथ केवल तीन टेस्ट खेले। यह पार्थिक के करियर की शुरुआत थी तो वहीं श्रीनाथ के लिए टेस्ट करियर की संध्या हो चली थी।
'एक थे जवागल श्रीनाथ'
"जहीर खान और जवागल श्रीनाथ खेल रहे थे, इसलिए यह एक बड़ी चुनौती थी। वहां बहुत अधिक उछाल नहीं था और गेंद अच्छी गति से आती थी।
भारत से बाहर खेलने के दौरान आपको स्टंप्स से थोड़ा ज्यादा दूर खड़ा होना पड़ता है। पार्थिव ने Rediff.com को बताया कि ऐसा कुछ मैंने सीखा था, जब गेंद रिवर्स स्विंग होती है तब स्टंप के पीछे कैसे खड़ा होना है।
बाएं हाथ के बल्लेबाज ने ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज ग्लेन मैक्ग्रा और श्रीनाथ के बीच समानताएं बनाईं।
आखिरी सीरीज में भी कहर ढा रहे थे श्रीनाथ-
पार्थिव ने कहा, "लोग ग्लेन मैकग्राथ के बारे में बात करते हैं, लेकिन पहली बार जब मैंने श्रीभाई के खिलाफ कीपिंग की तो वह हर समय अच्छी गति और उछाल के साथ गेंदबाजी करते थे।"
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पार्थिव ने श्रीनाथ के आखिरी टेस्ट मैच में भारत के लिए कीपिंग की थी जो अक्टूबर 2002 में कोलकाता के ईडन गार्डन में वेस्ट इंडीज के खिलाफ था।
"श्रीभाई (श्रीनाथ) अपनी अंतिम श्रृंखला में खेल रहे थे; उन्होंने उसके बाद कोई टेस्ट नहीं खेला। अपनी आखिरी सीरीज में भी उन्हें काफी उछाल और बहुत अच्छी गति मिल रहा था। पार्थिव ने कहा, और वह बहुत सटीक भी थे।
मैक्ग्रा खुद थे एक समय श्रीनाथ के मुरीद-
आपको बता दें कि 90 के दशक के दौरान एक बार ग्लेन मैक्ग्रा ने खुद कहा था कि यह उनका सौभाग्य है कि उनको डोनाल्ड और श्रीनाथ जैसे गेंदबाजों की कतार में खड़ा किया जाता है। लेकिन श्रीनाथ का टेस्ट करियर फिटनेस के चलते प्रभावित हुआ और मैक्ग्रा का करियर काफी लंबा था। लोग के जेहन के श्रीनाथ का नाम धुंधला पड़ गया और बाद में मैक्ग्रा अपनी निरंतरता के दम पर दुनिया के सबसे महान गेंदबाजों में अपना नाम लिखवाने में कामयाब हो गए।
2003 के वनडे विश्व कप के बाद रिटायर हुए श्रीनाथ ने क्रमशः 67 टेस्ट और 229 एकदिवसीय मैचों में 236 और 315 विकेट लेकर भारत का प्रतिनिधित्व किया। श्रीनाथ अनिल कुंबले के बाद एकदिवसीय मैचों में भारत के दूसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी हैं।