सिडनी का 'गुलाबी' मैदान
इस मौके पर सिडनी में दर्शकों ने पिंक परिधान में नजर आ रहे थे। इस अवसर पर स्टेडियम के लेडीज स्टैंड का नाम बदलकर जेन मैक्ग्रा स्टैंड कर दिया गया। इस दौरान भारत और ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों ने भी प्रतीक चिह्न के रूप में गुलाबी रंग को अपनाया हुआ था और फॉक्स स्पोर्ट्स की रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय पुलिस ने नेवी ब्लू कैप की जगह पिंक कैप्स पहनी।
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टीम इंडिया ने भेट की पिंक कैप
इस मौके पर जब दोनों टीमे मैदान पर आई तो उन्होंने मैक्ग्रा को गुलाबी रंग की कैप भेट की। यह कार्यक्रम मैच शुरू होने से पहले हुआ था। इस दौरान ग्लैन मैक्ग्रा सीमा रेखा से कुछ दूरी पर खड़े थे। पहले ऑस्ट्रेलियाई टीम आई और कप्तान टिम पेन ने मैक्ग्रा को पिंक कैप भेट की। उसके बाद पूरी कंगारू टीम ने पिंक कैप भेट की। ऑस्ट्रेलियाई टीम के बाद भारतीय टीम का नंबर आया। जिसकी अगुवाई करते हुए कप्तान कोहली ने मैक्ग्रा को कैप भेट की और फिर पूरी भारतीय टीम ने कैप दी।
पिंक डे टेस्ट को जानें-
बता दें कि पिंक डे को मनाते हुए अब तक 11 साल हो गए हैं। मैक्ग्रा ने कहा कि उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था कि एक दिन यह दिन परंपरा का हिस्सा बन जाएगा। बता दें कि सिडनी टेस्ट में तीसरा दिन जेन मैक्ग्रा डे के नाम से मनाया जाता है। इस दौरान सब कुछ गुलाबी रंग में नजर आता है। इस दिन के माध्यम ने कुछ पैसा इकठ्ठा किया जा ता है जो ग्लेन मैक्ग्रा फाउंडेशन में डोनेट किया जाता है। यह फाउंडेशन ब्रैस्ट कैंसर से पीड़ित रोगियों के इलाज में सहायता करती है और साथ ही जागरूकता भी फैलाती है। यह फाउंडेशन मैक्ग्रा दंपति ने 2005 में शुरू की थी। इसकी शुरूआत के 3 साल बाद ही जेन का देहांत हो गया था। तब से यह पिंक डे टेस्ट एक पंरपरा का हिस्सा बन चुका है। गौरतलब है कि जेन मैक्ग्रा को भी ब्रेस्ट कैंसर था।
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परंपराओं का हिस्सा बन गया है पिंक डे टेस्ट
ग्लेन मैक्ग्रा ने अपनी पत्नी को याद करते हुए कहा, 'जेन पिंक डे टेस्ट को सफलतापूर्वक आगे बढ़ता देखकर खुश होंगी। वे देख रही होंगी कि कैसे सभी लोग इस बारे में बात कर रहे हैं। लेकिन, उनको गर्व महसूस हो रहा होगा।' बता दें कि जेन एक समय कैंसर से निजात पा चुकी थी लेकिन 2007 में यह फिर से उभर गया और 2008 में इसकी ही वजह से उनका निधन हो गया।